लोक प्रशासन और निजी प्रशासन
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लोक प्रशासन और निजी प्रशासन

अर्थ और प्रकृति के माध्यम से लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर:- अर्थ के रूप में:-  लोक प्रशासन का तात्पर्य है सार्वजनिक प्रशासन जो सभी व्यक्तियों के लिए हो जबकि निजी प्रशासन का अर्थ है व्यक्तिगत प्रशासन जो कुछ लोगों तक सीमित है। प्रकृति के रूप में:-  लोक प्रशासन का क्षेत्र असंकुचित है जबकि…

लोक प्रशासन का महत्व
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लोक प्रशासन का महत्व

लोक प्रशासन का महत्व हमारे दैनिक जीवन में निरंतर बढ़ता जा रहा है। पिछली शताब्दी में राज्य पुलिस राज्य माना जाता था और उसका कार्य क्षेत्र सीमित था। वह केवल निषेधात्मक कार्य किया करता था।  यह निषेधात्मक कार्य थे:- न्याय प्रदान करना शांति बनाए रखना संपत्ति की रक्षा परंतु 20 वीं  एवं 21वीं शताब्दी की…

लोक प्रशासन के आयाम
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लोक प्रशासन के आयाम व दृष्टिकोण

लोक प्रशासन के प्रमुख तीन आयाम है:- 1. लोक प्रशासन एक संरचना के रूप में  2. लोक प्रशासन एक कौशल के रूप में 3. लोक प्रशासन एक संस्था के रूप में      लोक प्रशासन एक संरचना के रूप में:-   (1) पारंपरिक संरचनावादी:-  इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का अध्ययन या विश्लेषण एक…

लोक प्रशासन
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लोक प्रशासन का परिचय | अर्थ, परिभाषा , उपागम

लोक प्रशासन लोक प्रशासन दो शब्दों से मिलकर बना है। लोक व प्रशासन लोक का अर्थ है सरकार , जबकि प्रशासन शब्द लैटिन भाषा के एडमिनिस्टर शब्द से निकलता है जिसका अर्थ है किसी संस्था या वस्तु की देखभाल व सेवा करना। इस प्रकार लोक प्रशासन का अर्थ है सरकार द्वारा लोगों या नागरिकों की…

संविधान की विशेषताएँ | Features of indian constitution
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संविधान की विशेषताएँ | Features of indian constitution

भारत का संविधान अनेक दृष्टि से एक अनूठा संविधान है। उसकी अनेक विशेषताएं हैं जो विश्व के अन्य संविधान उसे अलग उसकी पहचान बनाती है। भारतीय संविधान की विशेषताओं की यदि बात की जाए तो इसे निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है:- संसदीय तथा अध्यक्षयी प्रणाली भारत एक गणराज्य है। उसका…

संविधान का दर्शन | philosophy of the indian constitution
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संविधान का दर्शन | philosophy of the indian constitution

भारतीय संविधान के दर्शन की शुरुआत प्रमुख रूप से 1922 से मानी जा सकती है जब गांधी जी ने मांग की थी कि भारतीय संविधान सभा का निर्माण भारतीयों द्वारा किया जाना चाहिए। इसके पश्चात 1928 में नेहरू रिपोर्ट में भी इस बात का समर्थन किया गया कि भारतीय द्वारा ही संविधान सभा का निर्माण…

directive principles of indian constitution in hindi
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राज्य-नीति के निर्देशक तत्त्व | Directive Principles of State Policy

राज्य-नीति के निदेशक तत्त्व हमारे संविधान की संजीवनी व्यवस्थाएँ हैं। इन सिद्धांतों में हमारे संविधान का और उसके सामाजिक न्याय दर्शन का वास्तविक तत्त्व निहित है। ये तत्त्व हमारे संविधान की प्रतिज्ञाओं और आकांक्षाओं को वाणी प्रदान करते हैं। संविधान निदेशक सिद्धान्तों का मार्ग प्रशस्त करता है और निदेशक सिद्धांत एवं उनका क्रियान्वयन संविधान को…

fundamental rights in hindi
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मौलिक अधिकार | fundamental right of indian constitution

भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की माँग यह थी कि भारत के हर व्यक्ति को मौलिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए। 1918 में भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस ने यह माँग की थी कि मोटफॉर्ड रिर्पोट में भारत के लोगों के अधिकारों की घोषणा होनी चाहिए। 1928 में एक सर्वदलीय समिति बनी। श्री मोती लाल नेहरू उस समिति के…

preamble of constitution in hindi
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संविधान की प्रस्तावना | Preamble of Indian Constitution

प्रत्येक देश के संविधान की अपनी एक प्रस्तावना होती है जिसके द्वारा संविधान निर्माण के उद्देश्य, समाज की आवश्यकताओं और सरकार की विचारधारा का पता चलता है। सी. जे. फ्रेडरिक ने कहा है कि प्रस्तावना के द्वारा जनमत प्रतिबिम्बित होता है और इसी से संविधान अपनी सत्ता को प्राप्त करता है। के. एम. मुन्शी ने…

प्रक्रियात्मक लोकतंत्र क्या है?
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प्रक्रियात्मक लोकतंत्र क्या है?

प्रक्रियात्मक लोकतंत्र  (Procedural Democracy) वृहत् व जटिल समाजों में, लोगों के लिए यह हमेशा संभव नहीं होता कि हरेक मामले पर निर्णय करने के लिए एक साथ मिल बैठे, जैसा कि वे प्राचीन एथेंस के प्रत्यक्ष लोकतंत्र में करते थे। यही कारण है कि आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधि संस्थाओं के माध्यम से काम करता है। लोग…