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कांग्रेस व्यवस्था क्या है? तथा काँग्रेस एक छत्ता पार्टी [Congress as Umbrella Party]

भारत की कांग्रेस व्यवस्था को हम एक दल के प्रभुत्व का काल कह सकते हैं जो कि एक दलीय व्यवस्था से अलग है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रतिस्पर्धी पार्टी सिस्टम था  किंतु प्रतिस्पर्धी पार्टी यहां एक अलग प्रकार की भूमिका रखती थी । कांग्रेस व्यवस्था में हम दल को दो रूपों में देख सकते हैं:-…

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भारत में संसद का विकास | James Manar व Harish Khare के विचार

स्वतंत्र भारत पूरे विश्व में वृहद लोकतंत्र होने का दावा करती है जो सही सिद्ध प्रतीत होता है । भारत साक्षी है कि यहां सभी संसदीय कार्य चाहे सरकार की विधि संबंधित कार्य हो या उसे हटाने का कार्य हो विपक्ष का सहयोग रहता है। संसदीय सरकार की संस्थाएं भारतीय राजनीतिक संस्कृति की तत्व है…

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भारतीय संसदीय प्रणाली | Mr Madhavan व Ashok Pankaj के विचार

Mr Madhavan परिचय भारत एक लोकतांत्रिक तथा संघीय ढांचा है । जिसमें शक्तियों का विभाजन दो स्तरों पर है । केंद्र तथा राज्य स्तर, भारतीय संसदीय प्रणाली में दो सदन तथा राष्ट्रपति सम्मिलित होते हैं । दोनों सदनों की भूमिका अलग है तथा शक्ति भी दोनों में विभाजित है । राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव…

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संविधान का दर्शन [Philosophy of Indian Constitution]

संविधान का दर्शन तात्पर्य यह है कि भारतीय संविधान की समस्त संरचना उसके स्वरूप व उसकी मुख्य विशेषताओं  का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करना है । जिसके माध्यम से हम संविधान को ठीक तरीके से समझ सकते हैं तथा हम भारतीय संविधान  से जुड़े बाद विवादों को समझते हैं । सभा की उत्पत्ति और गठन सबसे…

जातिवाद और भारतीय राजनीति | Casteism and Indian Politics
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जातिवाद और भारतीय राजनीति | Casteism and Indian Politics

प्रोफेसर वी.के. मेनन का कहना है कि स्वतन्त्रता प्रप्ति के बाद से राजनैतिक क्षेत्र में जातिवाद का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। जहाँ सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में जाति की शक्ति घटी है वहाँ राजनीति और प्रशासन में वद्धि हुई है। रजनी कोठारी का इस विषय में मत है कि –  प्रथम, कोई भी सामाजिक…

अल्पसंख्यकों की राजनीति | POLITICS OF MINORITIES
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अल्पसंख्यकों की राजनीति | POLITICS OF MINORITIES

 अल्पसंख्यकों की राजनीति राष्ट्रीय इकाइयों और अल्पसंख्यकों की समस्या भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की अन्यतम समस्या थी। भाषाई अल्पसंख्यकों, मुसलमानों, सिखों, आदि में जैसे-जैसे राजनीतिक जागरण आया वैसे-वैसे राजनीतिक स्वाधीनता के लिए किए गए राष्ट्रीय आन्दोलन और स्वाधीन भारत की भावी राज-व्यवस्था की दृष्टि से यह प्रश्न विशिष्ट और निर्णायक महत्व का हो गया। अल्पसंख्यकों…

साम्प्रदायिकता | Communalism
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साम्प्रदायिकता | Communalism

 साम्प्रदायिकता का अर्थ ‘साम्प्रदायिकता’ शब्द का साधारण अर्थ सामाजिक-धार्मिक समूह की वह प्रवत्ति है जिसके अनुसार वह अपनी सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक शक्ति के दूसरे ऐसे ही समूहों की तुलना में बढ़ाता है। विसेट स्मिथ के अनुसार, एक साम्प्रदायिक व्यक्ति या व्यक्ति-समूह वह है जो कि प्रत्येक धार्मिक या भाषायी समूह को एक ऐसी पथक…

मतदान व्यवहार | Voting Behaviour
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मतदान व्यवहार | Voting Behaviour

चुनावों का महत्व (Importance of Elections) चुनाव ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और किसी हद तक उन पर नियन्त्रण भी रखती है। चुनावों के महत्व अथवा ‘चुनावों के कार्यों को इस प्रकार रेखांकित किया जा सकता है : 1) जनता अपने शासकों का चयन करती है (People Elect their…

राज्यों का पुनर्गठन | Reorganization of states
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राज्यों का पुनर्गठन | Reorganization of states

 राज्यों का एकीकरण और पुनर्गठन भारतीय संघ का निर्माण दो प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हुआ:-ब्रिटिश काल के दौरान प्रशासनिक विकेंद्रीयकरण और सम्राट के सत्ताधिकारों का धीरे-धीरे विस्तार उन भारतीय रियासतों द्वारा प्रभुसत्ता का (स्वेच्छा या जोर-जबरदस्ती से) समर्पण जिन पर 1947 तक ब्रिटिश सम्राट की सर्वोपरिता थी।  भारतीय रियासतों ने अपनी प्रभुसत्ता का समर्पण अपनी इच्छानुसार…

राजनीतिक दलीय व्यवस्था | Political party system
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राजनीतिक दलीय व्यवस्था | Political party system

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात राजनीतिक दलीय व्यवस्था  भारतीय स्वतंत्रता के दौरान दलीय व्यवस्था में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग, अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ और, भारतीय साम्यवादी दल राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली थे, वहीं क्षेत्रीय स्तर पर पंजाब में अकाली दल, मद्रास में द्रविड़ मुनेत्र कषगम, पूर्व…