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संस्थागत उपागम (Institutional Approache), भारत में राज्य राजनीति

भारत एक महत्वपूर्ण लोकतन्त्रात्मक देश है। मानव सभ्यता के पांच हजार वर्ष से भी पुराने इतिहास मे कही भी, कभी भी इतने व्यापक पैमाने पर लोकतान्त्रिक प्रयोग नहीं चला, जैसा कि भारत में स्वाधीनता के बाद से चल रहा है। जनतन्त्र के परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता का अहसास पश्चिम मे अधिक है। टेक्सास विश्वविद्यालय…

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शहरी शासन [Panchayati Raj] पर Abhijit Datta और Meera Mehta के विचार

प्रतिनिधित्व का मुद्दा शहरी शासन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है । जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के स्टॉकहोल्डर्स तथा एनजीओ अपनी भूमिका निभाते हैं। एनजीओ मुख्य रूप से समाज के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती है । क्योंकि वर्तमान समय में सरकार तथा एनजीओ एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं । इसीलिए सरकार को एनजीओ की एक…

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बीजेपी सिस्टम [BJP System] | Christopher Jaffrelot, John McGuire व Oliver Heath

भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंदू राष्ट्रवादी दल 1947 के बाद से एक लीनियर तरीके से शामिल हुए। हिंदू धार्मिक तथा हिंदू मानदंडों तथा धर्मनिरपेक्ष मानदंडों को मानते हुए कई पार्टियों का निर्माण हुआ।  1951 में जनसंघ की स्थापना हुई यह जनसंघ हिंदू नेशनलिस्ट मूवमेंट में से ही निकला था। यह एक अलग हिंदूवादी विचारधारा…

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कांग्रेस व्यवस्था क्या है? तथा काँग्रेस एक छत्ता पार्टी [Congress as Umbrella Party]

भारत की कांग्रेस व्यवस्था को हम एक दल के प्रभुत्व का काल कह सकते हैं जो कि एक दलीय व्यवस्था से अलग है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रतिस्पर्धी पार्टी सिस्टम था  किंतु प्रतिस्पर्धी पार्टी यहां एक अलग प्रकार की भूमिका रखती थी । कांग्रेस व्यवस्था में हम दल को दो रूपों में देख सकते हैं:-…

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भारत में संसद का विकास | James Manar व Harish Khare के विचार

स्वतंत्र भारत पूरे विश्व में वृहद लोकतंत्र होने का दावा करती है जो सही सिद्ध प्रतीत होता है । भारत साक्षी है कि यहां सभी संसदीय कार्य चाहे सरकार की विधि संबंधित कार्य हो या उसे हटाने का कार्य हो विपक्ष का सहयोग रहता है। संसदीय सरकार की संस्थाएं भारतीय राजनीतिक संस्कृति की तत्व है…

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भारतीय संसदीय प्रणाली | Mr Madhavan व Ashok Pankaj के विचार

Mr Madhavan परिचय भारत एक लोकतांत्रिक तथा संघीय ढांचा है । जिसमें शक्तियों का विभाजन दो स्तरों पर है । केंद्र तथा राज्य स्तर, भारतीय संसदीय प्रणाली में दो सदन तथा राष्ट्रपति सम्मिलित होते हैं । दोनों सदनों की भूमिका अलग है तथा शक्ति भी दोनों में विभाजित है । राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव…

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संविधान का दर्शन [Philosophy of Indian Constitution]

संविधान का दर्शन तात्पर्य यह है कि भारतीय संविधान की समस्त संरचना उसके स्वरूप व उसकी मुख्य विशेषताओं  का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करना है । जिसके माध्यम से हम संविधान को ठीक तरीके से समझ सकते हैं तथा हम भारतीय संविधान  से जुड़े बाद विवादों को समझते हैं । सभा की उत्पत्ति और गठन सबसे…

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ओरिएंटलिस्ट [Orientalist] अध्ययन और विवाद

Orientalist Discourse   By_Ronald Iden orientalist  का ज्ञान जिसे आजकल एक क्षेत्र अध्ययन विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। यह  तर्कसंगत, तार्किक, वैज्ञानिक, यथार्थवादी, उद्देश्यों के रूप में प्रकट होता है । जबकि orientals का ज्ञान इसके विपरित जिसे अक्सर तर्कहीन, आतार्किक, अवैज्ञानिक, अवास्तविक और व्यक्तिपरकके रूप में देखा जाता है। इसीलिए Orientalist का ज्ञान…

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भारतीय राजनीतिक चिंतन में भारतीय क्या है?

हिंदू राजनीतिक विकास By:- Benoy Kumar Sarkar चौथी शताब्दी के तीसरे दशक से 12वीं शताब्दी के अंत तक भारत का इतिहास पंद्रह सौ वर्षो के लिए राजनीतिक सचेतन, साहित्यिक, तथा वैज्ञानिक विकास विस्तार का इतिहास रहा है।  तेरहवीं शताब्दी से भारत को बाहरी विश्वास को अपनाना पड़ा (इस्लाम), परंतु वहां कोई मोहम्मददीन काल भारत में…

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कैसे जवाहरलाल नेहरू एक समाजवादी विचारक थे?

नेहरू समाजवादी जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत के वास्तुकार के तौर पर ख्वाति मिली है । राष्ट्रीय स्वतंत्रता के दीर्घकालिक संघर्ष में तथा स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े राजनीतिक नेता के रूप में उनकी विशेष भूमिका रही है । वह पश्चिमी देशों में शिक्षा प्राप्त करने वाले कुलीन भारतीय वर्ग से संबंधित है तथा स्वभाव…