भारतीय संसदीय प्रणाली | Mr Madhavan व Ashok Pankaj के विचार

Mr Madhavan

परिचय

भारत एक लोकतांत्रिक तथा संघीय ढांचा है । जिसमें शक्तियों का विभाजन दो स्तरों पर है । केंद्र तथा राज्य स्तर, भारतीय संसदीय प्रणाली में दो सदन तथा राष्ट्रपति सम्मिलित होते हैं । दोनों सदनों की भूमिका अलग है तथा शक्ति भी दोनों में विभाजित है । राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुने जाते हैं । राज्यसभा के सदस्य सभी राज्यों के प्रतिनिधित्व के लिए होते हैं । राज्यसभा में 238 सदस्य चुने जाते हैं जिसमें 2 सीट केंद्र शासित राज्यों के लिए तथा बाकी राज्यों के लिए संरक्षित है । राज्यसभा के सदस्यों का चयन सभी क्षेत्रों के एमएलए द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली द्वारा होता है।

इनका चुनाव 6 वर्ष के लिए होता है हर 2 वर्षों में नए राज्यसभा के सदस्यों का आना जाना लगा रहता है । राष्ट्रपति द्वारा 12 ऐसे सदस्यों का चुनाव किया जाता है, जो कला, साहित्य, तथा किसी क्षेत्र में विशेष ज्ञान, तथा जिसने किसी विशेष क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया हो । राज्यसभा को भंग नहीं किया जा सकता है, एक तिहाई सदस्य हर 2 वर्ष में अपने कार्यकाल को पूरा कर लेते हैं तथा यह अपने पद से मुक्त हो जाते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्यों की भर्ती की जाती है । 

लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं तथा 530 सदस्य राज्यों द्वारा तथा 20 केंद्र शासित प्रदेशों तथा कुल सदस्य 543 तथा 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत एंग्लो इंडियन होते हैं । इसका कार्यकाल का समय 5 वर्ष के लिए होता है ।

दोनों सदनों का काम नियम बनाना होता है तथा शक्तियां भी समान होती हैं। सदन में प्रस्तुत कोई भी विधेयक जिस पर दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद ही वह विधेयक कानून का रूप लेता है। इसमें अपवाद स्वरूप हम वित्त विधेयक या धन विधेयक को देख सकते हैं।  

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Ashok Pankaj

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