लोक प्रशासन का महत्व

लोक प्रशासन का महत्व

लोक प्रशासन का महत्व हमारे दैनिक जीवन में निरंतर बढ़ता जा रहा है। पिछली शताब्दी में राज्य पुलिस राज्य माना जाता था और उसका कार्य क्षेत्र सीमित था। वह केवल निषेधात्मक कार्य किया करता था।  यह निषेधात्मक कार्य थे:-

लोक प्रशासन का महत्व
  • न्याय प्रदान करना
  • शांति बनाए रखना
  • संपत्ति की रक्षा

परंतु 20 वीं  एवं 21वीं शताब्दी की बदलती हुई परिस्थितियों के साथ-साथ राज्य की प्रकृति में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। आज पुलिस राज्य की निषेधात्मक अवधारणा का स्थान कल्याणकारी राज्य की सकारात्मक अवधारणा ने ले लिया है। वर्तमान में राज्य के कार्यों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। हमारे जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जो राज्य की क्रियाओं से प्रभावित ना होता हो। अतः राज्य के बढ़ते हुए दायित्व एवं गतिविधियों के साथ लोक प्रशासन का महत्व बढ़ता जा रहा है।

 लोक प्रशासन के महत्व को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:-

1.  लोक प्रशासन का महत्व एक विषय के रूप में

2.  लोक प्रशासन का महत्व एक प्रक्रिया के रूप में

विषय के रूप में लोक प्रशासन का महत्व

1. दार्शनिक योगदान:- लोक प्रशासन एक विषय के रूप में ज्ञान को विकसित करने का प्रयास करती है तथा ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करती है।

2. प्रशासकीय योगदान:- लोक प्रशासन एक विषय के रूप में प्रसाद के संदर्भ में लोगों की जागरूकता को बढ़ाती है।

3. तकनीकी योगदान:- लोक प्रशासन एक विषय के रूप में तमाम तरह की तकनीकों का अविष्कार करता है तमाम तरह के सुझाव देता है जिसके माध्यम से लोक प्रशासन को सुलभ बनाया जा सके।

4. व्यवसायिक योगदान:- लोक प्रशासन एक विषय के रूप में लोगों को प्रशिक्षण देना, लोगों की योग्यता  तय करना, उनकी नई नई भूमिका तय करना तथा प्रशासकों की नियुक्ति करती है।

प्रक्रिया के रूप में लोक प्रशासन का महत्व

लोक प्रशासन अभी शासन के एक यंत्र के रूप में:-

  1. अभी शासन के रूप में लोक प्रशासन अति आवश्यक है। अभी शासन के माध्यम से तमाम तरह की सेवाओं को लोगों तक पहुंचाया जाता है।

  1. यहां लोगों के सुरक्षा प्रदान करता है तथा कानून और व्यवस्था को लागू करके समाजिक सुरक्षा तक लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करता है।

  1. सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक यंत्र  बनता है।

  1.  लोक प्रशासन लोक नीति निर्माण का कार्य करती है।

लोक प्रशासन विकास और परिवर्तन की एक यंत्र के रूप में:-

  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद देशों में गरीबी व राष्ट्र हित की समस्या व्याप्त थी जिससे निपटने के लिए लोक प्रशासन का सहारा लिया गया। लोक प्रशासन के द्वारा समाज में परिवर्तन व विकास लाने का प्रयत्न किया गया है।
 
  • लोक प्रशासन समाज में स्थिरता लाने में एक यंत्र के रूप में है लोक प्रशासन नागरिकों को तमाम तरह की सेवा उपलब्ध करवाता है जिससे समाज में प्रेम व भाईचारे व सामाजिक संतुष्टि बनी रहती है जिससे समाज में स्थिरता बनी रहती है। लोक प्रशासन के माध्यम से समाज में स्थिरता का वातावरण निर्मित किया जाता है।
 
  • लोक प्रशासन कल्याणकारी राज्य के यंत्र के रूप में , 20 वीं व 21वीं शताब्दी में लोक कल्याणकारी राज्य का सिद्धांत आया इसके कारण राज्य लोक प्रशासन के माध्यम से सभी प्रकार की कल्याणकारी क्रियाएं संपादित करने लगा। लोक प्रशासन लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में उभरा।
 
  • लोक प्रशासन राष्ट्र निर्माण के यंत्र के रूप में, लोगों में राष्ट्र के प्रति संप्रभुता की भावना निहित होती है। लोक प्रशासन भारत में विभिन्न प्रकार की असमानताओं को दूर करता है। लोक प्रशासन राष्ट्र निर्माण के केंद्र के रूप में कार्य करती है। 

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