प्रतिनिधित्व और सहभागिता | Representation and Participation
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प्रतिनिधित्व और सहभागिता | Representation and Participation

 प्रतिनिधित्व और सहभागिता  वर्तमान समय में अधिकांश लोकतंत्रों की प्रकृति अप्रत्यक्ष और प्रतिनिधिमूलक ही है। बहरहाल, यह एक महत्वपूर्ण । सवाल है कि प्रतिनिधित्व करने का क्या अर्थ है? क्या एक प्रतिनिधि होने का अर्थ डेलिगेट होना है, अर्थात् क्या इसका अर्थ अपने मतदाताओं की इच्छाओं को आवाज़ देना है? हालाँकि, एक व्यापक भौगोलिक क्षेत्र…

विमर्शी लोकतंत्र क्या है
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विमर्शी लोकतंत्र क्या है

 विचारणात्मक लोकतंत्र (विमर्शी लोकतंत्र ) विचारणात्मक लोकतंत्र या विचार-विमर्शमूलक लोकतंत्र के सिद्धांत को 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों से विशेष लोकप्रियता मिली है। इसके प्रवर्तकों में जे. कोहेन एवं – जे. रॉजर्स (ऑन डेमोक्रेसी: टुवार्ड ए ट्रांस्फार्मेशन ऑफ़ – अमेरिकन सोसायटी)(1983) और एस.एल. हली (नेचुरल रीजन्सः पर्सनैलिटी एंड पॉलिटी) (1989) का विशेष – स्थान है।…

लोकतंत्र का इतिहास | लोकतंत्र का विस्तार  व  लोकतंत्रिकरण
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लोकतंत्र का इतिहास | लोकतंत्र का विस्तार व लोकतंत्रिकरण

लोकतंत्र का “आधुनिकता की विशेषतासूचक संस्थाओं’ में से एक के रूप में वर्णन किया गया है, और ऐसा माना जाता है कि यह वैचारिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन की जटिल व अन्तर्गुथित प्रक्रियाओं का परिणाम था। ब्रिटेन में इस परिवर्तन का संकेत औद्योगिक क्रांति से मिला जो अठारहवीं शती के मध्य में आरम्भ हुई, जबकि…

नरिवाद क्या हैं ? | नारीवाद के प्रकार | केट मिल्लेट के विचार | गेरडा लरनर के विचार
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नरिवाद क्या हैं ? | नारीवाद के प्रकार | केट मिल्लेट के विचार | गेरडा लरनर के विचार

‘नारीवाद’ शब्द लैटिन शब्द ‘फेमिना’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘महिला’ इस शब्द को पहली बार महिला अधिकार व समानता के लिए चलाए जा रहे आंदोलन  के संबंध में इसका इस्तेमाल किया गया था। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ‘नारीवाद’ को स्त्री या नारी होने की स्थिति के रूप में परिभाषित करती है। वेबस्टर डिक्शनरी ने ‘नारीवाद’…

रूढीवाद – अर्थ, प्रकार, विशेषताएं व इसके विभिन्न प्रयोग
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रूढीवाद – अर्थ, प्रकार, विशेषताएं व इसके विभिन्न प्रयोग

रुढिवाद’का अर्थ रुढिवाद’ की अवधारणा के अनेक अर्थ लिए जाते हैं। यह एक ऐसे व्यक्ति का बोध देता है, जिसका यवहार नम्र अथवा चौकस होता है, अथवा ऐसा व्यक्ति जिसकी जीवन-शैली प्रायः पारंपरिक, नैष्ठिक अथवा जो परिवर्तनों से संकोच करता है अथवा उनसे डरता है। रूढ़िवाद ऐसी विचारधारा है, जो पक्ष की अपेक्षा विरोध अधिक…

अराजक्तावाद का अर्थ | लक्षण व विचारक
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अराजक्तावाद का अर्थ | लक्षण व विचारक

 कट्टरतावाद का अर्थ कट्टरतावाद शब्द को विभिन्न विद्वानों ने उनके एक तत्व अथवा दूसरे तत्व को ध्यान में रखते हुए बताने का प्रयास किया है। यही कारण है कि कटरतावाद धार्मिक भी है और गैर-धार्मिक भी। वैचारिक कट्टरतावाद को भी कट्टरतावाद का एक अन्य रूप कहा जा सकता है। हैवुड ने अपनी पुस्तक पोलिटिकल आइडीआलोजिस…

कानूनी ऑर नैतिक अधिकार | Legal and Moral Right’s
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कानूनी ऑर नैतिक अधिकार | Legal and Moral Right’s

कानूनी अधिकार (Legal Rights) क़ानून सामान्य जीवन या नैतिक विमर्श से अलग होते हैं। किसी भी क़ानूनी कथन (legal statement) की सच्चाई कुछ निश्चित प्राधिकारियों (authorities) के कार्यों पर निर्भर करती है। क़ानूनी प्राधिकारियों द्वारा तय किए जाने के कारण ही कोई भी काम क़ानूनी या गैर-क़ानूनी होता है। इसलिए हर क़ानूनी कथन इन क़ानूनी प्राधिकारियों के…

प्राकृतिक अधिकार | Right, and Natural Right’s
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प्राकृतिक अधिकार | Right, and Natural Right’s

 अधिकार अधिकारों को सटीक रूप से उन सामाजिक दावों के नाम से पुकारा जाता है, जो व्यक्ति को उनके सर्वोत्तम स्वार्थ आदि सिद्ध करने में मदद करते हैं और उनको अपनी निजी पहचानों को विकसित में सहायता करते हैं।  राज्य कभी अधिकार नहीं देते, वे केवल उन्हें मान्यता देते हैं; सरकारें कभी अधिकार प्रदान नहीं करतीं, वे सिर्फ उन्हें संरक्षण…

अधिकार तथा कर्तव्य | Rights and Obligations
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अधिकार तथा कर्तव्य | Rights and Obligations

अभी तक हमने अधिकारों के विभिन्न सिद्धान्तों के बारे में पढ़ा। अधिकार समकालीन राजनीतिक सिद्धान्तों की एक प्रमुख धारणा है। परन्तु ऐसा अनुभव किया जा रहा है अधिकारा पर अत्यधिक महत्त्व एक न्यायसंगत सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण या एक आदर्श समाज के प्रोत्साहन के लिये निभाये जाने वाले कर्तव्यों की अवज्ञा कर रहा है। कई लेखकों…

अधिकारों की तीन पीढ़ियाँ | Three Generations of Rights
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अधिकारों की तीन पीढ़ियाँ | Three Generations of Rights

 ‘अधिकारों की तीन पीढ़िया’ शब्दावली का प्रयोग मानव अधिकारों के संदर्भ में किया जाता है। मानव अधिकारों का तीन पीढ़ियों में वर्गीकरण का विचार सबसे पहले 1979 में फ्रांस के एक कानूनवेत्ता कारेल वसाकं द्वारा मानव अधिकारों के अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान (International Institute For Human Rights) में प्रस्तावित किया गया. था। उसके इस वर्गीकरण का आधार था फ्रांस की क्रांति के समय…