प्राकृतिक अधिकार | Right, and Natural Right’s
अधिकार
अधिकारों को सटीक रूप से उन सामाजिक दावों के नाम से पुकारा जाता है, जो व्यक्ति को उनके सर्वोत्तम स्वार्थ आदि सिद्ध करने में मदद करते हैं और उनको अपनी निजी पहचानों को विकसित में सहायता करते हैं। राज्य कभी अधिकार नहीं देते, वे केवल उन्हें मान्यता देते हैं; सरकारें कभी अधिकार प्रदान नहीं करतीं, वे सिर्फ उन्हें संरक्षण देती हैं। अधिकार समाज से, विशिष्ट सामाजिक परिस्थितियों से, उद्भूत होते हैं, और इसी कारण, हमेशा सामाजिक होते हैं।
अधिकार व्यक्तियों के अधिकार होते हैं; वे व्यक्तियों से ही संबंध रखते हैं, वे व्यक्तियों के ही लिए अस्तित्व रखते हैं; इनका व्यवहार उनके द्वारा इसलिए किया जाता है ताकि वे अपनी निजी पहचानों का सम्पूर्ण विकासलाभ कर सकें।
प्राकृतिक अधिकार ( Natural Rights)
प्राकृतिक अधिकारों के बारे में सबसे प्रभावशाली विचार जॉन लॉक द्वारा 1690 (पुनर्मुद्रण 1946) में प्रकाशित अपनी । किताब टू ट्रिटाइज ऑन सिविल गवर्नमेंट में अभिव्यक्त किया गया। लेकिन लॉक से पहले थॉमस हॉब्स ने भी। प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत प्रस्तुत किया था। हॉब्स की ‘प्राकृतिक-अवस्था’ (state of nature) की संकल्पना में उनके प्राकृतिक अधिकारों के विचार को देखा जा सकता है। यह अवस्था मानव जीवन की वह स्थिति है, जहाँ कोई संगठित राजनीतिक प्राधिकार और सरकार नहीं होती है। हॉब्स के अनुसार, प्रकृति का अधिकार या ‘जस्ट नेचुरले’ (just naturale) होता है।
इसका अर्थ है कि हर आदमी को यह स्वतंत्रता होती है कि वह अपनी प्रकृति अर्थात् अपने जीवन की सुरक्षा के लिए अपनी इच्छानुसार अपनी शक्ति का उपयोग करे। वह सभी उपलब्ध साधनों का अपने विवेक और निणय क आधार पर, अपनी इच्छा के अनुरूप प्रयोग कर सकता है।
प्राकतिक अवस्था में हर व्यक्ति के पास स्वतंत्रता का अधिकार होता है। सरकार के न होने का स्थिति म हर व्यक्ति के पास सिर्फ यही अधिकार हो सकता है। लेकिन यह बहुत मूल्यवान अधिकार नहीं है। हॉब्स मानते हैं कि इसका कारण यह है कि प्राकतिक अवस्था यद्ध की अवस्था है। यहाँ हर व्यक्ति दूसरे के ख़िलाफ़ हाता है और हर व्यक्ति अपने विवेक (या तर्कबुद्धि) से शासित होता है। इसलिए हॉब्स इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि प्राकृतिक अवस्था की अराजकता को खत्म करने के लिए सरकार की स्थापना ज़रूरी है।
सरकार की स्थापना करने के लिए आवश्यक शर्त यह है कि व्यक्ति हर काम करने के अपने प्राकृतिक अधिकार को छोड़ दे। हर किसी को बिना किसी शते के इस बात पर सहमत होना चाहिए कि वे एक सर्वोच्च प्राधिकार (supreme authority) की आज्ञा का पालन करेंगे। हालाँकि हॉब्स एक प्राकृतिक अधिकार-जीवन के अधिकार को क़ायम रखते हैं। यदि कोई सरकार किसी आदमी को खुद की हत्या करने का आदेश देती है, तो वह इसका विरोध कर सकता है।
जॉन लॉक भी यह मानते हैं कि सरकार के न होने की स्थिति में मनुष्य प्राकृतिक अवस्था की स्थिति में रहते हैं। लेकिन हॉब्स की तरह वे यह नहीं मानते कि यह पूरी तरह से एक युद्ध की स्थिति होती है। ‘प्राकृतिक अवस्था में आदमी विवेक के अनुसार अपनी जिंदगी जीते हैं। लेकिन इस अवस्था में उनके विवादों का फ़ैसला करने के लिए धरती पर कोई सर्वोच्च प्राधिकार नहीं होता है। ‘लॉक के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था में आदमी को अपनी गतिविधि करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
प्राकृतिक क़ानून की सीमा के भीतर वे अपनी जायदाद और व्यक्तित्व का अपनी इच्छा से प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए वे किसी दूसरे आदमी की इच्छा से नहीं बँधे होते हैं। लॉक यह भी मानते हैं कि ‘यह समानता की अवस्था होती है। यहाँ सभी लोगों की शक्ति और अधिकार-क्षेत्र बराबर होता हैं।’ लेकिन यह प्राकृतिक आज़ादी अपनी मनमर्जी करने की आजादी नहीं होती है। यह आज़ादी ‘प्राकृतिक क़ानून की सीमा के भीतर होती है।’ प्राकृतिक अवस्था में सुचारू रूप से काम करने के लिए एक प्राकृतिक क़ानून भी होता है।
इन -क़ानूनों से मार्गदर्शन लेने वाले इंसानों – को यह शिक्षा दी जाती है कि सभी मनुष्य स्वतंत्र और समान हैं। इसलिए किसी को भी किसी दूसरे मनुष्य के जीवन, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता या संपत्ति को नुक़सान नहीं पहुँचाना चाहिए।
लॉक यह मानते हैं कि मनुष्य का जन्म पूर्ण आजादी के साथ होता है और उसे प्राकृतिक क़ानून के अंतर्गत – मिलने वाले अधिकारों और विशेषाधिकारों (privileges) का बेरोकटोक आनंद उठाने का हक़ भी होता है। लेकिन ये अधिकार और विशेषाधिकार क्या हैं? इस बारे में लॉक का जवाब यह है कि हर आदमी को यह प्राकृतिक के अधिकार है कि वह अपने जीवन की सुरक्षा करे और अपनी संपत्ति का जैसा चाहे, वैसा प्रयोग करे। लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि वह किसी दूसरे आदमी की इसी तरह की आज़ादी में कोई हस्तक्षेप न करे। बहुत से विचारकों ने प्राकृतिक अधिकार के सिद्धांत की आलोचना की है। लेकिन इस सिद्धांत की सबसे अधिक आलोचना उपयोगितावादियों द्वारा की गई है।