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विकास योजना और भारतीय राज्य | पर्था चटर्जी

परिचय पर्था चटर्जी अपनी पुस्तक (state and polities in India) में राष्ट्रीय योजना आयोग (NPC) का व्याख्यान करते है। भारतीय संदर्भ में इसकी कितनी सफलता रही है तथा यह अपनी उद्देश्यों को कितनी सीमा तक पूरा कर सकता है तथा इसकी असफल के क्या कारण रहें है, इसकी पूरी विस्तृत जानकारी मिलती है। चटर्जी के…

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अर्थवएवस्था और राजनीति के बीच संबंध | कमांड पॉलिटी व डिमाण्ड पॉलिटी

 अर्थवएवस्था और राजनीति के बीच संबंध  Rudolph & Rudolph अर्थव्यवस्था और राजनीति के बीच संबंधों को दो मॉडलों द्वारा प्रस्तुत करते है- कमांड पॉलिटी और डिमाण्ड पॉलिटी। वे भारतीय परिपेक्ष्य मे अर्थव्यवस्था और राजनीति के बीच संबंधों को समझाने के लिए इन मॉडलों का उपयोग करते है तथा भारतीय राजनीति में इनके बीच संबंधों को…

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डिमाण्ड और कमांड पॉलिटी क्या है

प्रस्तावना  हम स्वतंत्र भारत में राजनीतिक और अर्थव्यवस्था के बीच परस्पर विरोधी मॉडल का उपयोग करके इनके बीच क्व संबंधों की व्याख्या करते है (कॉमण्ड पॉलिटी) और (डिमाण्ड पॉलिटी) ये मॉडल हमे राज्य सांप्रभुता और लोकप्रिये सांप्रभुता की परस्पर विरोधी आवश्यकताओ के बीच तनाव के बारे में सवाल उठाने की अनुमति देते है। जो एक…

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नागरिक संस्कृति की अवधारणा | निर्धारक तत्व व महत्व

 नागरिक संस्कृति की अवधारणा आज का युग लोकतन्त्रीय-कल्याणकारी राज्यों का युग है। लोकतन्त्र का उदारवादी स्वरूप आधुनिक लोकतन्त्र की प्रमुख विशेषता जिससे बचने का जोखिम किसी भी राजनीतिक व्यवस्था को खतरे में डाल सकता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि जनता की शासन-प्रक्रिया में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो । आज जनसंचार…

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राजनीतिक संस्कृति पर विभिन्न विचारकों के विचार | अर्थ, संघटक, विशेषताएं, प्रकार,

राजनीतिक संस्कृति राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में बिल्कुल नई संकल्पना है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने यह पता लगाने का प्रयास किया कि समान राजनीतिक संरचनात्मक ढांचे वाली राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर क्यों आ जाता है तथा राजनीतिक विकास की दिशाएं भी अलग-अलग क्यों हो जाती है। इसके…

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भारतीय राज्य का उदय पूर्व औपनिवेशिक राज्य से आधुनिक राज्य तक (भाग-2) | सुदीप्त कविराज

आधुनिकता से हमें मौलिक विचारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है। जो कि बौद्धिक संस्कृति से राज्य के विचार में देखने को मिलता है। यूरोपियन भारतीय आधुनिकता के प्राथमिक स्रोत रहे हैं। यूरोपियन संदर्भ में मार्क्सवाद के विचार के अनुसार पूंजीवाद राज्य की प्रकृति के बदलाव की पहली प्रक्रिया है। यूरोपियन आधुनिकता राजनीतिक दलों के माध्यम…

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भारतीय राज्य का उदय पूर्व औपनिवेशिक राज्य से आधुनिक राज्य तक | थॉमस पैंथम

भारतीय राष्ट्र राज्य के विकास को मुख्यतः दो विचारको के माध्यम से समझा जा सकता है। थॉमस पैंथम और सुदिप्ता कविराज दोनों विचारक सिद्धांत व  विचार तथा विचारधारा व अभ्यास के आधार पर अपने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हैं। भारतीय राज्य का उदय पूर्व औपनिवेशिक राज्य से आधुनिक राज्य तक थॉमस पैनथम के अनुसार…

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निष्पक्षता के रूप में न्याय जॉन रॉल्स के विचार | Justice as fairness

निष्पक्षता के रूप में न्याय By:- John Rawls परिचय  Justice as fairness की मूल स्थिति सामाजिक अनुबंध के पारंपरिक सिद्धांत में प्रकृति की स्थिति से मेल खाती है। इसे एक विशुद्ध रूप से काल्पनिक स्थिति के रूप में समझा जाता है । इस स्थिति की आवश्यक विशेषताओं में यह है कि कोई भी व्यक्ति समाज…

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डिओन्टोलॉजिकल एथिक्स अर्थ, प्रकार और इसके सिद्धांत | Deontological Ethics

डिओनटोलॉजीकल एथिक्स परिचय डिओनटोलॉजी शब्द ग्रीक शब्दों से कर्तव्य और विज्ञान के लिए निकला है नैतिक दर्शन में डिओनटोलॉजी आचरण शास्त्र उन प्रकार के आदर्श सिद्धांतों में से एक है जिनके बारे में विकल्प नैतिक रूप से आवश्यक है निषिद्ध है या इनको अनुमति दी गई है दूसरे शब्दों में डिओनटोलॉजी नैतिक सिद्धांतों के क्षेत्र…

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समानता पर एलिजाबेथ एंडरसन के विचार | What is the point of equality

समानता के मुख्य बिन्दु क्या हैं? What is the Point of Equality? By:- Elizabeth Anderson परिचय समतावादी राजनीतिक आंदोलनों द्वारा ऐतिहासिक रूप से अपने उद्देश्यों की कल्पना की है समतावादी राजनीतिक आंदोलन पदानुक्रम का विरोध करते हैं वे व्यक्तियों के समान नैतिक मूल्य पर जोर देते हैं इस दावे का अर्थ यह नहीं है की…