नैतिक अधिकार व कानूनी अधिकार | हैटफील्ड, लॉक, बेंथम
अधिकार
अधिकार व्यक्ति का वह दवा है जो वह समाज से करता है व समाज से प्राप्त करता है व शासन द्वारा लागू किया जाता है । परंतु प्रत्येक दावा अधिकार नहीं हो सकता अधिकार मानव समाज में आधुनिक युग की देन है और मानवीय इतिहास में अधिकारों की प्राप्ति के लिए लंबा संघर्ष देखा गया है । फ्रांसीसी व अमेरिकी क्रांति के परिणाम स्वरूप अधिकारों की घोषणा व्यापक रूप से स्वीकृत हुई । माना गया है कि व्यक्ति जन्म से समान व स्वतंत्र है। व्यक्ति को जन्म से कुछ अधिकार प्राप्त है जिसमें जीवन, स्वतंत्रता, एवं सुख, जैसे अधिकार मुख्य हैं जबकि मध्यकालीन सामंतवादी समाज में मानवीय अधिकारों के बजाय दैविय अधिकारों पर बल दिया गया ।
हैटफील्ड ने अधिकारों को निम्नलिखित रूप से व्यक्त किया है
- दावे के रूप में
- स्वतंत्रता के रूप में
- छूट के रूप में
- शक्ति के रूप में
अधिकारों की संकल्पना आधुनिक युग की देन है । हॉब्स के विचारों में राज्य के द्वारा अधिकारों का समर्थन किया गया । इसीलिए उसने पूर्णसत्तावादी शासन का समर्थन किया। अधिकारों की संकल्पना के जन्मदाता जॉन लॉक हैं जिन्होंने स्पष्ट कहा कि प्राकृतिक अवस्था में सभी व्यक्ति समान थे, तथा व्यक्ति को जन्मजात प्राकृतिक अधिकार प्राप्त है जिसमें स्वतंत्रता, जीवन, संपत्ति, स्वास्थ्य, और उसके शरीर के अंगों पर उसका अपना अधिकार है ।
समाज में प्रत्येक व्यक्ति का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह दूसरों के जीवन का संरक्षण करें एवं राज्य का निर्माण इन्हीं प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया एवं राज्य के द्वारा प्राकृतिक अधिकारों को ना तो छीना जा सकता है और ना ही सीमित किया जा सकता है । मैकफर्सन के अनुसार लॉक मूलतः पूंजीवादी विचारक है तथा इन्होंने संपत्तिशाली व्यक्तियों के अधिकारों का समर्थन किया ।
लॉक के प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांतों का प्रभाव अमेरिकी व फ्रांसीसी क्रांति पर हुआ । थॉमस ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “ राइट्स ऑफ मैन” में लॉक के प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन किया । एडमंड बर्क ने लॉक के प्राकृतिक अधिकारों की संकल्पना को निरथक कहा। यह अमूर्त व तात्विक है एवं यह अत्यधिक सरलीकृत है । बर्क के अनुसार अधिकार एक विशेष इतिहास व परिस्थितियों की देन होते हैं । बर्क ने इंग्लैंड का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां के लोगों को समाज के विकास के परिणाम स्वरूप स्वाभाविक रूप से अधिकार प्राप्त हो गए । नागरिक और राजनीतिक अधिकार परंपराओं की देन है ऐसा बर्फ की मान्यता है ।
बेंथम ने प्राकृतिक अधिकारों की धारणा का जोरदार खंडन किया । इनके अनुसार समाज व राज्य से पहले अधिकारों की कल्पना करना पूर्णता अतार्किक व निरथक है। इनके अनुसार अधिकार राज्य के द्वारा प्रदत्त होते हैं । इन्होंने लॉक की मान्यता को बकवास व अनर्गल कहा तथा वैधानिक अधिकारों का समर्थन किया । लॉक से लेकर बेंथम तक व्यक्तियों को स्वायत्त रूप में अधिकार प्रदान किए गए जिसे हरबर्ट हार्ट ने अधिकारों का चयनात्मक व वैकल्पिक सिद्धांत कहा है।
नैतिक अधिकार व कानूनी अधिकार
आदर्शवादी अधिकारों के सिद्धांत में अधिकार जीवन की वह बढ़ाई परिस्थितियां हैं जो व्यक्ति की आंतरिक विकास के लिए आवश्यक है । अधिकार का अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी क्षमताओं या व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करें । ग्रीन के अनुसार अधिकार व शक्तियां हैं जो व्यक्ति को नैतिक बनने में सहायक हो वह जिसके बिना व्यक्ति अपनी सर्वोच्च उद्देश्य की प्राप्ति ना कर सके ।
ग्रीन के अधिकारों को नैतिक दृष्टिकोण से देखा है क्योंकि यह व्यक्तित्व या आत्मा में अंतर्निहित है । ग्रीन के अनुसार व्यक्ति सामाजिक प्राणी है इसीलिए अधिकार समाज द्वारा प्रदत होते हैं । समाज से पृथक या अलग रूप से अधिकारों की कल्पना नहीं की जा सकती ।
व्यक्ति के जीवन का मूल उद्देश्य उसके नैतिक व्यक्तित्व का विकास है व इसके लिए राज्य द्वारा आवश्यक परिस्थितियां प्रदान की जाती है । ग्रीन के लिए राज्य एक आवश्यक अच्छाई है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक है क्योंकि किसी व्यक्ति के बाध्यकारी रूप से में नैतिक नहीं बनाया जा सकता बल्कि नैतिक बनने की परिस्थितियां प्रदान की जा सकती हैं। इसीलिए ग्रीन का कथन है कि शक्ति नहीं इच्छा ही राज्य का आधार है । अतः ग्रीन के लिए राज्य व्यक्ति की इच्छा का बहाए रूप है ना कि बाध्यकारी । ग्रीन ने ब्लॉक के प्राकृतिक अधिकारों की संकल्पना को अस्वीकृत करते हुए कहा कि समाज से पहले व्यक्ति को अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते बल्कि समाज द्वारा अधिकार प्रदत होते हैं