political theory

शक्ति के तीन चरण | Steven Lukesh Power: A Radical View

शक्ति: एक उग्रवादी दृष्टिकोण 

(Power:  A Radical View)

By:- Steven Lukesh

परिचय

Steven Lukesh अपनी किताब पावर आफ रेडिकल व्यू में शक्ति के विभिन्न चरणों का उल्लेख करते हैं । वह शक्ति के संबंध में पद्धति गत सिद्धांत एक और राजनीतिक दृष्टिकोण को अपनाते हैं । शक्ति के संबंध में Morton s. Baratz  का प्रसिद्ध लेख “ the two faces of power (1962)”  तथा दूसरा लेख “power and poverty (1970)”  अत्यंत महत्वपूर्ण है ।

शक्ति के चरण

स्टीवन लोकेश ने शक्ति के संबंध में प्रमुख रूप से तीन आयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है जो निम्नलिखित है:-

एक आयामी दृष्टिकोण 

(The one Dimensional View)

इसे शक्ति का बहुलवादी दृष्टिकोण भी कहा जाता है इस आयाम के प्रमुख विचारक निम्न है-  डाहल, पोलसबी, वॉलकनर

डाहल – अपने शुरुआती लेखt “the concept of power”  में शक्ति के सहज विचार का वर्णन किया है वह लिखते हैं कि-

“A  के पास इतनी शक्ति है कि वह B  से कुछ भी करा सकता है, जो वह  चाहता है । इस कार्य को करने से B इनकार नहीं कर सकता है क्योंकि उसे शक्ति का भय है”

संक्षेप में,  जैसे की polsby लिखते हैं कि बहुलवादी दृष्टिकोण में विशिष्ट क्रम से परिणामों का अध्ययन करने का प्रयास किया जाता है। शोधकर्ताऔ का मानना है की Polsby को वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करना चाहिए व्यवहार का पुनर्निर्माण करके या दस्तावेजों समाचार पत्रों या अन्य उपयुक्त स्रोतों से ।

इस प्रकार Merelman के अनुसार बहुलवादी पद्धति ने व्यवहार का वास्तविक अध्ययन किया तथा परिचालन परिभाषाओं  पर बल दिया तथा इसने प्रमाण को ही बदल दिया । शक्ति की पहचान करने में अवलोकन व्यवहार पर ध्यान दिया जाता है तथा निर्णय निर्माण के अध्ययन में बहुलवादीयों को केंद्रीय कार्य के रूप में शामिल किया जाता है। 

इस प्रकार हम देखते हैं कि बहुलवादी वास्तविक या अवलोकन यह संघर्ष को शामिल करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने में व्यवहार पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं । संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह “पहला आयामी दृष्टिकोण” निर्णय लेने में व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करता है। तथा वह मुद्दे जिन पर एक अवलोकन संघर्ष है इन्हें नीतिगत प्राथमिकताओं के रूप में देखा जा सकता है अर्थात इनका पता राजनीतिक भागीदारी से चलता है ।

दो आयामी दृष्टिकोण 

(Two dimensional View)

इस दृष्टिकोण के अपने आलोचनात्मक रूप में baratz & bachrach  का तर्क है कि यह प्रतिबंधात्मक है और इस तथ्य के आधार पर अमेरिकी राजनीति को एक भ्रामक रूप से संगीन बहुलतावादी तस्वीर देता है । शक्ति यह दावा करता है कि इसके दो चेहरे हैं- 

पहला: वह है जो पहले से ही माना जाता है जिसके लिए शक्ति पूरी तरह मूर्त रूप में है और यह ठोस निर्णय में या गतिविधियों पर सीधे असर करती है । इनका केंद्रीय बिंदु या है की एक व्यक्ति या समूह होश पूर्वक या अनजाने में यदि नीति के सार्वजनिक प्रसारण में बाधाएं बनाता है या उत्पन्न करता है तो वह शक्ति या समूह के पास शक्ति है ।

दूसरा: शक्ति दो अलग-अलग इंद्रियों में है एक ओर, b के ऊपर सभी प्रकार का सफल नियंत्रण जिसमें सामान्य तरीके से उपयोग करता है इसमें एका सुरक्षित अनुपालन है b पर। दूसरी ओर शक्ति अर्थात अनुपालन की सुरक्षा प्रतिबंधों के खतरे के माध्यम से है ।

baratz & bachrach का बहुलवादी समालोचना का मुख्य बिंदु यह बताना है कि शक्ति का एक आयामी दृष्टिकोण व्यवहार विरोधी है। यह दावा करता है कि यह वीटो करने व  निर्णय लेने के शुरुआती महत्व पर अत्यंत जोर दिया । जिसके परिणाम स्वरूप इस तथ्य का कोई हिसाब नहीं रखता है की शक्ति कितनी हो सकती है ।

इसके अतिरिक्त इस दो आयामी दृष्टिकोण में निर्णय लेने और गैर निर्णय लेने दोनों की जांच करना भी शामिल है । एक निर्णय कार्यवाही के वैकल्पिक तरीकों के बीच एक विकल्प है । एक गैर निर्णय एक निर्णय है जिसके परिणाम स्वरूप निर्णय या निर्माता के मूल्य या हितों के लिए एक अव्यक्त या प्रकट चुनौती का दमन होता है ।

baratz & bachrach के पास बहुलवादियों की तुलना में हितों की एक व्यापक अवधारणा है हालांकि यह उद्देश्य पक्षों के बजाय  व्यक्तिपरक की अवधारणा है । जबकि बहुलवादी सभी नागरिकों के व्यवहार द्वारा प्रदर्शित नीतिगत प्राथमिकताओं के हितों को मानता है जिन्हें राजनीतिक व्यवस्था के भीतर माना जाता है ।

baratz & bachrach उन लोगों के व्यवहार द्वारा प्रदर्शित प्राथमिकताओं पर भी विचार करते हैं जो अपराध या परीक्षण शिकायतों के रूप में आंशिक रूप से या पूरी तरह से राजनीतिक निर्णय से बाहर कर दिए गए हैं ।

यहां दोनों ही मामलों में हितों को सचेत रूप से व्यक्त और अवलोकन किया जाता है । संक्षेप में शक्ति का दो आयामी दृष्टिकोण, शक्ति के एक आयामी दृष्टिकोण के व्यावहारिक ध्यान के योग्य आलोचनाओं को शामिल करता है । और यह उन तरीकों पर विचार करने की अनुमति देता है वह जिसमें हितों का एक अवलोकन संघर्ष होता है उनमें निर्णय संभावित मुद्दों पर निर्णय लेने से रोका जाता है।

तीन आयामी दृष्टिकोण

(The three  Dimensional View)

इसमें कोई संदेह नहीं की शक्ति का दो आयामी दृष्टिकोण और शक्ति का एक आयामी दृष्टिकोण पर एक प्रमुख अग्रिम का प्रतिनिधित्व करता है । यह शक्ति संबंधों के विश्लेषण में शामिल है तथा राजनीति के एजेंडे और नियंत्रण के प्रश्न के संभावित मुद्दों को राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है ।

शक्ति के त्रिआयामी दृष्टिकोण को तीन गणना में देख सकते हैं-

पहली  गणना

व्यवहारवाद की इसकी आलोचना बहुत महत्वपूर्ण है या इसे दूसरे तरीके से करने के लिए यह अभी भी व्यवहारवाद के लिए प्रतिबद्ध है जोकि अपरोक्ष के अध्ययन के लिए वास्तविक व्यवहार जिसे संघर्ष की स्थितियों में ठोस निर्णय के प्रतिमान के रूप में देखा जाता है।  

baratz & bachrach बहुत से शक्ति के व्यक्तिवादी दृष्टिकोण को अपने में बहुलवादियों का अनुसरण करते हैं इसमें दोनों पक्ष मैक्स वेबर के चरणों का पालन करते हैं । वास्तव में यहां दो अलग-अलग मामले हैं सबसे पहले सामूहिक कार्यवाही की घटना जहां नीति या सामूहिकता कार्यवाही है ।

उदाहरण के लिए- एक वर्ग या एक संस्था, राजनीतिक दल, या औद्योगिक निगम,  दूसरा वहां- जहाँ प्रणालीगत या सगठनात्मक प्रभावी की घटना थी। 

दूसरी गणना

इसमें शक्ति का दो आयामी दृष्टिकोण में वास्तविक  अवलोकनीय संघर्ष के साथ शक्ति का अपर्याप्त संबंध है । इस संबंध में भी बहुलवादी आलोचक हैं परंतु कम से कम दो कारणों से सत्ता के लिए आवश्यक संघर्ष नहीं होता है-

पहला- baratz & bachrach के अपने विश्लेषण पर शक्ति के दो प्रकार में इस तरह के संघर्ष शामिल नहीं हो सकते अर्थात Manipulation or Authority

दूसरा- यह वास्तविक और अवलोकन यह संघर्ष पर जोर नहीं देगा ।

तीसरी  गणना

इसमें शक्ति के दो आयामी दृष्टिकोण अपर्याप्तता घनिष्ठ रूप से एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है अर्थात गैर निर्णय लेने की शक्ति केवल वहां मौजूद है जहां ऐसी शिकायतें जो मुद्दों के रूप में राजनीतिक प्रक्रिया में प्रवेश से वंचित हैं । संक्षेप में त्री-आयामी दृष्टिकोण पहले दो आयामों के व्यावहारिक ध्यान की आलोचना को शामिल करता है ।

तीनों आयामों की विशेषताएं

(A) एक आयामी दृष्टिकोण

  • व्यवहार
  • निर्णय निर्माण
  • मुख्य मुद्दे
  • अवलोकनीय संघर्ष
  • व्यक्ति परक हितों को  नीतिगत प्राथमिकताओं के रूप में देखा जाता है

(B)  शक्ति का आयामी दृष्टिकोण

 

  • निर्णय निर्माण और गैर निर्णय निर्माण
  • मुद्दे और संभावित मुद्दे
  • अवलोकन ( अपरोक्ष और प्रछन्न) संघर्ष
  • व्यक्ति परख हितों को नीतिगत प्राथमिकताओं के रूप में देखा जाता है शिकायतें

(C)  शक्ति का त्रिआयामी दृष्टिकोण

  • निर्णय निर्माण और राजनीतिक एजेंडे पर नियंत्रण
  • मुद्दे और संभावित मुद्दे
  • अवलोकन और अव्यक्त संघर्ष
  • व्यक्ति परक और वास्तविक हित

The Underlying Concept Of power

शक्ति की आधारभूत अवधारणा

Lukesh प्रमुख रूप से यहां दो आधारभूत अवधारणा की व्याख्या करते हैं:-पहली अवधारणा जिसे Talcatt Parsonsमें व्याख्या की है, दूसरी अवधारणा जिसकी व्याख्या Hannah Arendt करते हैं। 

शक्ति की पहली अवधारणा

इसकी व्याख्या प्रमुख रूप से Talcatt Parson’s ने की है वह कहते हैं कि सामाजिक संपर्क की प्रक्रियाओं में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से अन्य इकाइयों की कार्यवाही में बदलाव लाने के लिए संचालित एक विशिष्ट तंत्र के रूप में शक्ति का उपचार करना चाहिए ।

पर्सन की शक्ति का वैचारिककरण उसे अधिकार सर्वसम्मति और सामूहिक लक्ष्य की खोज से जोड़ता है तथा या हितों के टकराव को अलग करता है विशेष रूप से जबरदस्ती और बल से । इस प्रकार शक्ति प्राधिकार के संस्थागतकरण पर निर्भर करती है। 

शक्ति की दूसरी अवधारणा

इनकी व्याख्या हन्ना अर्जेंट ने की है इनके अनुसार मानवी क्षमता केवल कार्य करने के लिए ही नहीं बल्कि कार्य में सामंजस्य से भी मेल खाती है । शक्ति कभी किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं होती यह एक समूह से संबंधित होती है और यह केवल उतने ही लंबे समय तक अस्तित्व में रहती है जब तक समूह साथ रहता है । जब हम किसी से कहते हैं कि वह सत्ता में है तो हम वास्तव में उनके नाम पर कार्य करने के लिए निश्चित संख्या में लोगों को तैयार करते हैं ।

हन्ना आरेन्ट की शक्ति की अवधारणा का संबंध परंपरा और शब्दवाली से है जो इसे वापस एथेंस और रोम ले जाती है जिसके अनुसार गणतंत्र कानून के शासन पर आधारित है और जो लोगों को शक्ति पर टिकी हुई है। इस परिपेक्ष में शक्ति प्रभुत्व का व्यापार और आदेश आज्ञाकारीता से अलग है । इसके अतिरिक्त शक्ति के संदर्भ में दो तर्क देते हैं-

  1. हिंसा शक्ति को नष्ट कर सकती है
  2. शक्ति और हिंसा एक दूसरे के विपरीत हैं

अर्थात शक्ति कि यह अवधारणाएं तर्कसंगत रूप से रक्षात्मक हैं इसके लिए वे दो कारण बताते हैं । 

पहला कारण: वह शक्ति के संशोधनवादी प्रेरक पुनरावृति है अर्थात जो शक्ति के केंद्रीय अर्थों के अनुरूप है तथा शक्ति को पारंपरिक रूप से समझा जाता है और उन चिंताओं के साथ होता है जो छात्रों की शक्ति को हमेशा केंद्रित करते हैं । इस प्रकार शक्ति एक क्षमता सुविधा और योग्यता की ओर इंगित करती है ना कि संबंधों की ओर ।

दूसरा कारण:  Parsons अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की सादृश्यता और शक्ति को शून्य-योग्य घटना के रूप में देखने की अपील करते हैं। वह तर्क देते हैं कि शक्ति के उपयोग के रूप में जब उनके शासक के शासन को सही ठहराया है तो उन उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं जो सभी इच्छा रखते हैं तथा जिन से सभी लाभान्वित होते हैं ।

power a redical view

यह चित्र अनिवार्य रूप से विरोधाभासी और विशेष रूप से शक्ति की अवधारणा और स्थिति का विश्लेषण करता है जो शक्ति के एक, दो, व तीन आयामी विचारों को रेखांकित करता है । Steven lukesh कहते हैं मैं यह दावा नहीं करता कि यह आवश्यक रूप से उन संबंधित विचारों के सभी प्रस्ताव को के लिए स्वीकार्य होगा । उसका एक कारण यह है कि इन्हीं संदेह यह तीन आयामी दृष्टिकोण के विचारों से विकसित किया गया है और जो कि इसमें शामिल है इसीलिए यह अन्य दो आयामों की तुलना में आगे बढ़ रहा है

Difficulties

कठिनाइयां

यहां पर शक्ति के संदर्भ में तीन प्रकार की  कठिनाइयों को देखा गया है जिसका वर्णन lukesh ने अपने लेख में  किया है:-

निष्क्रियता:- निष्क्रियता को एक गैर घटना नहीं होना चाहिए किसी निश्चित स्थिति में एक निश्चित तरीके से कार्य करने में विफलता एक अच्छा विशिष्ट परिणाम हो सकता है अर्थात जहां उस तरह से कार्य करना निर्धारित परिणामों के साथ एक परिकल्पित संभावना है । इसके अतिरिक्त निष्क्रियता का परिणाम अच्छी तरह से एक और गैर घटना हो सकता है जैसे:-  राजनीतिक मुद्दे की गैर उपस्थिति जहां क्रियाएं होती हैं और प्रश्न पूर्व परिकल्पना की उपस्थिति के कारण बना होगा ।

अकर्तव्यनिष्ठा:- दूसरी कठिनाई अकर्तव्यनिष्ठा की है जिसमें यह प्रश्न उठता है कि शक्ति उपयोगकर्ता के बिना शक्ति का उपयोग कैसे किया जा सकता है । अर्थात जो शकतो का उपयोग करता है वह यह नहीं जानता कि वह यह क्या कर रहा है । यहां कर्तव्यनिष्ठा के तीन तत्व सामने आते हैं-

  1. वह वास्तविक उद्देश्य या अर्थ से अनजान हो सकता है
  2. वह इस बात से अनजान हो सकता है कि दूसरे के कार्य को कैसे व्याख्या करते हैं 
  3. वह कार्य के लिए एक परिणाम से अनजान हो सकता है

सामूहिक शक्ति का उपयोग:- तीसरी कठिनाई शक्ति के सामूहिक उपयोग को लेकर है जैसे एक समूह, वर्ग या संस्थान के रूप में,  समस्या यह है जब सामाजिक कारणों को शक्ति के उपयोग के रूप में चित्रित किया जाता है तो कैसे और कहां शक्ति का उपयोग करना है यह नहीं पता चल पाता है ।

Similar Posts

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *