राजनीतिक निर्णय क्या है ? इजाया बर्लिन | Political judgment
राजनीतिक निर्णय की अवधारणा एक ऐतिहासिक प्रक्रिया से उत्पन्न हुई है जिसमें प्लेटों, हॉब्स, और लॉक जैसे दार्शनिकों और विचारकों के विचारों को शामिल किया गया था । जब प्लेटों “राजनीतिक निर्णय” शब्द का उपयोग करने वाला पहला दार्शनिक था तो अरस्तु ने इसकी अवधारणा को विकसित किया तथा स्पिनोजा ने निर्णय की स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित किया। जब यह दार्शनिक राजनीतिक निर्णय की अवधारणा की व्याख्या कर रहे थे तो उन्होंने अन्य सिद्धांतों का उल्लेख किया था जैसे- अधिकार, न्याय, स्वतंत्रता, कानून, व समानता ।
अर्थात इसी कतार में इजाया बर्लिन भी हैं जिन्होंने अपने लेख “ऑन पॉलिटिकल जजमेंट” में राजनीतिक निर्णय का स्पष्ट वर्णन किया है तथा इसके भ्रांतियों को दूर करने का भी प्रयास किया है ।
राजनीतिक निर्णय
बर्लिन के अनुसार सफल राजनीतिक निर्णय लेने के लिए कोई विशिष्ट या निश्चित तरीका नहीं है । गणितीय सूत्र कुछ विषयों में उपयोग किए जा सकते हैं, खासकर प्राकृतिक कानून में, हालांकि सामाजिक विज्ञान में सोच के एक निश्चित तरीके का पालन करना संभव नहीं है।
बर्लिन का तर्क है की कई कारक है जो राजनेताओं की सफलता में योगदान कर सकते हैं और इन कारकों निम्न आयामों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे-
- आर्थिक
- व्यक्तिगत
- राजनीतिक
अर्थात यह एक व्यक्तिवादी दृष्टिकोण के विपरीत है जिसमें मुद्दों के सामान्य दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता नहीं है। इस तरह राजनेताओं को सफल राजनीतिक निर्णय के लिए समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र, जैसे विषयों पर विचार करना चाहिए।
एक सफल राजनीतिक निर्णय लेने के लिए सक्षम बनने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करके मुद्दों का न्याय करना पर्याप्त नहीं है। निर्णय तंत्र और उनके उपकरणों के बीच समन्वय होना चाहिए, जैसे Geuss कहते हैं कि राजनीतिक निर्णय के संबंध में व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच एक संबंध होना चाहिए। अर्थात इस संबंध में विफलताओं के कारण कुछ अस्थिर और अस्पष्ट राजनीतिक निर्णय हो सकते हैं, जो असफल राजनीतिक निर्णय भी हो सकते हैं।
Prinz राजनीतिक निर्णय के संबंध में यह कहते हैं कि जब कोई राजनेता किसी व्यक्ति के साथ न्याय करता है तो उसके कुछ धारणाओं में या विचारों में भावनाओं का अंश शामिल होता है या हो सकता है। तथा वह निर्णय से विमुख हो सकता है ।
बर्लिन का इस संबंध में कहना है कि कई लोगों में राजनेताओं के बारे में भी पूर्वग्रह या नकारात्मक भावनाएं हैं, जो इन भावनाओं के कारण गलत निर्णय ले सकते हैं किंतु वह यह भी तर्क देते हैं कि कुछ उपाय हो सकते हैं जो इस तरह से सोचने से रोक सकते हैं।
इसके अतिरिक्त 17वीं , 18वीं सदी के कई दार्शनिक इस बात से सहमत हैं कि केवल एक सार्वभौमिक सत्य है जो मानव जाति के खिलाफ संभावित खतरों को रोकता है और यह सार्वभौमिक सत्य राजनेताओं को गलतियां करने से बचाता है, हालांकि बर्लिन ने इस विचार का खंडन किया है ।
यह मानते हुए कि एक राजनेता स्वयं इस मुद्दे को समझ कर सफल हो सकता है जिसे कभी-कभी अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, और राजनीतिक, जैसे विषयों को देखकर स्पष्ट रूप से इस मुद्दे की संरचना को समझने की आवश्यकता होती है ।
बर्लिन यह भी कहते हैं कि हम इस क्षमता से स्पष्ट रूप से परिचित नहीं हो सकते हैं। सफल राजनीतिक निर्णय के लिए अकेले विश्लेषण पर्याप्त नहीं है। राजनेताओं को अलग-अलग दृष्टिकोण से सोचने में सक्षम होना चाहिए और समस्या के समाधान के लिए उन्हें सक्षम करने के लिए गठबंधन करना चाहिए ।
इस प्रकार हम राजनीतिक निर्णय को समझ सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो राजनीतिक निर्णय राजनीति में अच्छा निर्णय कैसे लिया जाए को परिभाषित करता है अर्थात इस संबंध में यह कहा जा सकता है कि केवल वही नेता एक अच्छा निर्णय ले सकता है जो राजनीतिक रूप से बुद्धिमान हो उसमें राजनीतिक प्रतिभा हो तथा पूर्वगृह व नकारात्मक भावनाओं से प्रभावित ना हो साथ ही वह निर्णय लेने में राजनीतिक रूप से सक्षम हो । इस प्रकार के राजनेता ही एक स्पष्ट व न्याय के लिए निर्णय ले सकते हैं वह निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं
राजनीतिक सिद्धांत में अनिवार्यता
राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के अंतर्गत राजनीतिक निर्णय का अत्याधिक महत्व है। राजनीतिक सिद्धांत की सामाजिक, राजनीतिक, व आर्थिक मामलों की वास्तविकता का विवरण प्रस्तुत करता है तथा इसे बौद्धिक गतिविधियों के रूप में भी देखा जाता है, जो वास्तविकता को प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। इसकी इन सभी प्रक्रियाओं में राजनीतिक निर्णय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । यह इन सभी प्रक्रियों में नैतिक, न्यायप्रिय, वैधानिक फैसलों का सत्यापन करती है।
यदि कोई राजनेता समस्या का एक पक्ष ध्यान में रखते हुए समाधान की मांग करता है तो यह प्रतिशोधआत्मक हो सकता है । इसीलिए राजनेताओं को समस्याओं को हल करने के लिए एक अच्छे राजनीतिक निर्णय की आवश्यकता होती है। जिसमें उन्हें पक्षपाती ना होकर उन्हें विभिन्न आयामों को देखना पड़ता है जिसमें राजनीतिक, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, जैसे विषय भी शामिल हैं।
प्रभावी राजनीतिक निर्णय प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका स्थिति की चिंता है। यदि स्थिति जटिल रहेगी तो निर्णय करता किसी संकीर्ण विचार से ना प्रभावित होकर विभिन्न विषयों व बहुआयामी होकर निर्णय लेंगे जिसमें दोष या पक्षपात का खतरा कम हो जाता है। राजनीतिक सिद्धांत भी यह चाहता है कि बिना पक्षपाती हुए यह वास्तविकता को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। इस दिशा में राजनीतिक निर्णय अपनी निर्णायक भूमिका अदा करता है ।
इसके अतिरिक्त राजनीतिक सिद्धांत में राजनीति का अधिक महत्व रहता है। किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए रणनीति आवश्यक है अर्थात राजनीति निर्णय इसमें अधिक महत्वपूर्ण बन जाती है। क्योंकि यह देखा जा सकता है कि राजनीतिक निर्णय और रणनीति के बीच एक स्पष्ट संबंध है। अच्छे राजनीतिक फैसले से बेहतर रणनीतिक फैसले होते हैं । निर्णय निर्माण के विभिन्न दृष्टिकोण और उसके संबंधित विषय पर विचार करके प्रत्येक प्रासंगिक मुद्दे का विश्लेषण करते हैं स्पष्ट रूप से उनकी रणनीति अधिक कुशल और प्रभावी हो जाती है
हॉबसियन अर्थ में- निर्णय समाज में शांति और व्यवस्था प्रदान करने के लिए भी महत्वपूर्ण है जबकि गलतफहमी अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति का कारण बनती है और लोगों के जीवन पर हावी होती है । तथा बर्लिन सहित अन्य दार्शनिक भी यह मानते हैं कि अच्छा निर्णय लेने से बेहतर व्यवस्था व निर्णय बनाए रखा जा सकता है।
जबकि इसके विपरीत वह निर्णय जो अस्पष्ट और समस्याग्रस्त होते हैं तथा मुद्दों के पहलुओं को सोचे बिना लिए जाते हैं वह आमतौर पर कई गंभीर नकारात्मक प्रभाव पैदा करते हैं, जैसे- राज्य या समाज की व्यवस्था व आदेशों को तोड़ने तथा नई अनुक्रमण समस्याओं का कारण बनना साथ ही यह राज्य प्राधिकरण को भी नुकसान पहुंचाता है।
अतः इस प्रकार से हम राजनीतिक सिद्धांत में राजनीतिक निर्णय की आवश्यकता को देख सकते हैं या फिर ऐसा भी कहा जा सकता है कि राजनीतिक निर्णय के बिना राजनीतिक सिद्धांत उतना प्रभावकारी नहीं होगा जितना कि राजनीतिक सिद्धांत वर्तमान परिदृश्य में है।