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राष्ट्रवाद के सिद्धांत और बहस

Nationalism  By_ Umut Ozkirimli परिचय राष्ट्रवाद की तुलना में किसी भी राजनीतिक सिद्धांत ने आधुनिक दुनिया के चेहरे को आकार देने में अधिक प्रमुख भूमिका नहीं निभाई है । दुनिया भर में लाखों लोगों ने स्वेच्छा से अपनी पित्र भूमि के लिए अपना जीवन लगा दिया है । Elestain  के अनुसार इस तरह का अतिवाद…

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राजनीतिक संस्कृति क्या है? राजनीतिक संस्कृति के उपागम

By_Ben Rosamand परिचय बैन के अनुसार संस्कृति एक मायावी अवधारणा है जैसा कि रेमंड विलियम्स कहते हैं कि अंग्रेजी भाषा में संस्कृति को लेकर दो तीन विवादास्पद शब्द हैं। पहला उच्च संस्कृति के रूप में है जो कि व्यक्तिगत और सामाजिक सुधार के बारे में है । दूसरा संस्कृति को सामान्य रूप से चित्रलेखन के…

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विकसित और अल्पविकसित विवाद पर A. G. फ्रैंक के विचार

Political Economy: The Development of Underdevelopment  By_ Ander gunder Frank अंडर गुंडर फ्रैंक मुख्य रूप से अल्प विकसित देशों के भूतकालीन अर्थव्यवस्था और सामाजिक इतिहास के अध्ययन पर जोर देते हैं, की क्या कारण था जिससे यह देश अल्पविकसित रहे । फ्रैंक का मानना है इन देशों के इतिहास को नजरअंदाज करना हमें इस तरफ…

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नव संस्थावाद के विभिन्न दृष्टिकोण | ऐतिहासिक, तार्किक, और समाजशास्त्रीय

नव संस्थावाद तुलनात्मक राजनीति के अंतर्गत एक नई अवधारणा है। इसको मुख्य रूप से दो विचारकों मार्च ओर ऑलशन द्वारा आगे बढ़ाया गया। नव संस्थावाद मुख्य रूप से वर्तमान कल्याणकारी राज्य की एक मुख्य विशेषता बन कर उभरी है। नव संस्थावाद इसके प्रमुख तीन दृष्टिकोण है जिसके माध्यम से हम इसको समझ सकते हैं:- 1….

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नव संस्थावाद क्या है? तुलनात्मक राजनीति में नव संस्थावाद का विस्तार

नव संस्थावाद का विस्तार James g. March & Johan p. Olsen परिचय मार्च और ओल्सन द्वारा लिखित लेख Elaborating the New Institutionalism में संस्थावाद तथा नव संस्थावाद का व्यापक वर्णन किया गया है अर्थात संस्था बाद को समझने से पहले संस्था क्या है इसकी उत्पत्ति कैसे होती है आदि बातों को जानना आवश्यक है ।…

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तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न मुद्दे और विधियाँ | Issues & Methods

Functional Equivalence की धारणा प्रत्यक्ष रूप से फंक्शन से आई है। इसका यह विचार है कि राजनीतिक प्रणाली आवश्यक रूप से निश्चित मूल कार्यों में सहयोग करते हुए, कार्य उन्मुख एक महत्वपूर्ण स्तर में पहुंच जाती है। विशेष रूप से दो माध्यमों से जोर देकर स्पष्ट करते हैं कि पहला:- विभिन्न संरचनाएं एक प्रकार से…

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प्रॉब्लमैटिक ऑफ इंटरनेशन justin rosenberg के विचार

अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत निर्माण की प्रक्रिया में अनिश्चितता का अध्ययन व उसके विषय वस्तु के अध्ययन में क्या समस्याएं आ जाती हैं? अंतरराष्ट्रीय संबंध की विषय वस्तु अंतरराष्ट्रीय है। जैसे अंतरराष्ट्रीय संबंध को राजनीतिक विज्ञान की उपशाखा माना जाता है परंतु अंतरराष्ट्रीय संबंध की विषय वस्तु अलग है, परंतु प्रश्न यह है कि इसकी विषय वस्तु…

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अन्तराष्ट्रीय संबंधो में “उत्तर उपनिवेशवाद” | Post-Colonialism

उत्तर उपनिवेशवाद By:- Siba N. Grovogui परिचय Frantz Fanon’s की The Wretched of the earth और Jean Paul Sartre फ्रांसीसी अस्तित्ववाद के सह संस्थापक ने उत्तर उपनिवेशवाद की प्रेरणा पर जोर दिया। उपनिवेश बनाने के बाद यूरोप ने यह तय किया कि दुनिया 500 मिलियन पुरुष और 1500 मिलियन मूल निवासियों में विभाजित हो गई…

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नरिवादी उपागम [अनटर्राष्ट्रीय संबंध] | Jacqui True के विचार

नारीवाद अध्ययन का इतिहास कुछ खास पुराना नहीं है नारीवाद अध्ययन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने के लिए एक नया नजरिया प्रदान करता है जिसमें मूल रूप से निम्न प्रश्न उठाया गया है:- Christine Sylvester का मत है कि महिला जिसे नीचे दायरे तक सीमित रखा गया है तथा उनके गुण, नैतिकता, वस्तुपरकता, मातृत्व को भी…

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उत्तर आधुनिकतावाद [Post Modernism]| अंतर्राष्ट्रीय संबद्धों में रिचर्ड डेबेटॉक के विचार

उत्तर आधुनिकतावाद By: Richard Devetak रिचर्ड डेबेटॉक के अनुसार 1980 के दशक के मध्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विषय विभिन्न आलोचनात्मक सिद्धांतों की गहरी चुनौती के मध्य फस गया था। जब फ्रैंकफर्ट स्कूल के आलोचनात्मक सिद्धांत तथा बाद में उत्तर आधुनिकतावाद ने इस विषय का प्रबंधन किया जो कमोबेश रूप से अभी तक अपनी सीमितताओ…