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नव संस्थावाद क्या है? तुलनात्मक राजनीति में नव संस्थावाद का विस्तार

नव संस्थावाद का विस्तार James g. March & Johan p. Olsen परिचय मार्च और ओल्सन द्वारा लिखित लेख Elaborating the New Institutionalism में संस्थावाद तथा नव संस्थावाद का व्यापक वर्णन किया गया है अर्थात संस्था बाद को समझने से पहले संस्था क्या है इसकी उत्पत्ति कैसे होती है आदि बातों को जानना आवश्यक है ।…

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अन्तराष्ट्रीय संबंधो में “उत्तर उपनिवेशवाद” | Post-Colonialism

उत्तर उपनिवेशवाद By:- Siba N. Grovogui परिचय Frantz Fanon’s की The Wretched of the earth और Jean Paul Sartre फ्रांसीसी अस्तित्ववाद के सह संस्थापक ने उत्तर उपनिवेशवाद की प्रेरणा पर जोर दिया। उपनिवेश बनाने के बाद यूरोप ने यह तय किया कि दुनिया 500 मिलियन पुरुष और 1500 मिलियन मूल निवासियों में विभाजित हो गई…

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नरिवादी उपागम [अनटर्राष्ट्रीय संबंध] | Jacqui True के विचार

नारीवाद अध्ययन का इतिहास कुछ खास पुराना नहीं है नारीवाद अध्ययन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने के लिए एक नया नजरिया प्रदान करता है जिसमें मूल रूप से निम्न प्रश्न उठाया गया है:- Christine Sylvester का मत है कि महिला जिसे नीचे दायरे तक सीमित रखा गया है तथा उनके गुण, नैतिकता, वस्तुपरकता, मातृत्व को भी…

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उत्तर आधुनिकतावाद [Post Modernism]| अंतर्राष्ट्रीय संबद्धों में रिचर्ड डेबेटॉक के विचार

उत्तर आधुनिकतावाद By: Richard Devetak रिचर्ड डेबेटॉक के अनुसार 1980 के दशक के मध्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विषय विभिन्न आलोचनात्मक सिद्धांतों की गहरी चुनौती के मध्य फस गया था। जब फ्रैंकफर्ट स्कूल के आलोचनात्मक सिद्धांत तथा बाद में उत्तर आधुनिकतावाद ने इस विषय का प्रबंधन किया जो कमोबेश रूप से अभी तक अपनी सीमितताओ…

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आलोचनात्मक सिद्धांत [अन्तराष्ट्रीय संबंध] | रॉबर्ट कॉक्स व एनड्रीव लिंकलेटर

आलोचनात्मक सिद्धांत ग्राम्सीवाद तथा आलोचनात्मक सिद्धांत दोनों की जड़े 1920 तथा 1930 के दशक के पश्चिमी यूरोप में है। यह वह समय व स्थान था जिसने क्रांतिकारियों के प्रयासों के बावजूद मार्क्सवाद असफलता का सामना कर रहा था। हम यह तर्क देते हैं कि दोनों विचारशील स्कूलों के बीच विभाजन रेखा खींचना उचित नहीं होगा।…

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अन्तराष्ट्रीय संबंधो में नरिवाद | नरिवाद के विभिन्न सिद्धांत

परिचय नारीवादी सिद्धांत का प्रवेश 1980 से 1990 के दशक में होता है। इसे तीसरी बहस के रूप में देखा जाता है। इनका मानना है कि नारीवादी दृष्टिकोण को समझने के लिए लिंग विश्लेषण को समझना अनिवार्य है। यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में लिंग अधीनता की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। विश्व में केवल 10% ही…

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“रचनावाद” अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत | Constructivism

The Promise of constructivism in International Relations Theory By:- Ted Hopf परिचय रचनावाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत में कई केंद्रीय विषयों की वैकल्पिक समझ प्रदान करता है जैसे कि अराजकता का अर्थ, शक्ति संतुलन, राज्य के हित, और पहचान के बीच संबंध, शक्ति का विस्तार, तथा विश्व राजनीति में बदलाव की संभावनाएं आदि। मुख्यधारा के…

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नव उदारवाद तथा नव यथार्थवाद : संकलनीन बहस के बाद 

By:- David A. Boldwin नीचे दिए गए छः केंद्रीय बिंदु नव उदारवाद तथा नव यथार्थवाद के समकालीन बहस का चित्रण करते हैं यह निम्नलिखित हैं:– अराजकता की प्रकृति तथा उसके परिणाम कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कई प्रकार से अराजक है। पर ऐसा क्यों कहा गया यह एक…

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नव-उदारवादी संस्थावाद [Neo-Liberal Institutionalism]

नव-उदारवादी संस्थावाद By:- joseph M. Gricco 1980 के दशक में बहुलवाद का तत्व ज्ञान नवउदारवाद संस्थावाद के रूप में आया है। बहुलवाद के लेबल के साथ यह समस्या थी कि कुछ विचारको को इस आंदोलन से जुड़ा हुआ समझा गया जबकि उदार संस्थावाद ने कई नए प्रभावशाली विचारकों को इसकी और आकर्षित किया और अंतरराष्ट्रीय…

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अंतर्राष्ट्रीय संबंधो में “यथार्थवाद” [Realism]| Jack Donnelly

यथार्थवाद यथार्थवाद एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग कई अन्य विषयों में कई तरीके से किया जाता है। दर्शनशास्त्र में इसे आदर्शवाद के विपरीत एक सैद्धांतिक सिद्धांत माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय संबंध में राजनीतिक यथार्थवाद विश्लेषण की एक परंपरा है जो राष्ट्रों की शक्ति की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए अनिवार्य राज्यों पर जोर…