“रचनावाद” अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत | Constructivism

The Promise of constructivism in International Relations Theory

By:- Ted Hopf

परिचय

रचनावाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत में कई केंद्रीय विषयों की वैकल्पिक समझ प्रदान करता है जैसे कि अराजकता का अर्थ, शक्ति संतुलन, राज्य के हित, और पहचान के बीच संबंध, शक्ति का विस्तार, तथा विश्व राजनीति में बदलाव की संभावनाएं आदि।

मुख्यधारा के अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत के विकल्प को प्रस्तुत करने की पारंपरिक रचनावादी इच्छा के लिए एक शोध कार्यक्रम की आवश्यकता है। इस तरह के कार्यक्रम में Balance of Threat, The Security Dilemma, Neo-Liberal Cooperation और Democratic Peace Theory के रचनात्मक पुनरुत्थान शामिल हैं। 

Conventional Constructivism and issues in mainstream International Relations theory

Actor’s structures are mutually constituted

विश्व राजनीति में संरचना राज्यों के व्यवहार पर अपेक्षाकृत अपरिवर्तनीय बाधाओं का एक समूह है यद्यपि यह बाधाएं भौतिक निरुत्साहित की प्रणालियों का रूप ले सकती हैं जैसे की शक्तियां या बाजार का संतुलन। 

उदाहरण के लिए वियतनाम में अमरीकी तुष्टीकरण की सीमा अकल्पनीय यह। क्योंकि अमेरिका की पहचान एक बड़ी शक्ति के रूप में थी। सैन्य हस्तक्षेप ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक महान शक्ति के रूप में गठित किया तथा तुष्टीकरण एक अकल्पनीय कार्य था। कार्य, अराजकता और मानदंडों के कुछ अंतःविषय सेट के बिना संरचना अर्थहीन है तथा मुख्यधारा के अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत का सबसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक घटक अर्थहीन है।

Anarchy as an Imagined community

अराजकता संरचनात्मक है तथा इसे संवैधानिक नियमों और सामाजिक प्रथाओं को लागू करने वाले अभिनेताओं द्वारा पारस्परिक रूप से गठित किया जाना चाहिए। अलेक्जेंडर वेंडर्ड ने मुख्यधारा के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत के इस बुनियादी संरचनात्मक स्तंभ के एक रचनावादी आलोचक की पेशकश की है परंतु यहां यह देखने मिलता है कि अराजकता की कोई एक समझ नहीं है। यहां पर अलग-अलग अभिनेताओं के लिए अर्हता का अर्थ और समझ अलग-अलग है अर्थात यह देखा गया कि आवश्यकता एक रुप में नहीं है। इसके अलग-अलग रूप हैं तथा यह माना गया कि यह नित्य और काल्पनिक है।

Identities and Interest

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और घरेलू समाज में पहचान आवश्यक है ताकि इससे कम से कम कुछ न्यूनतम स्तर की भविष्यवाणी और व्यवस्था सुनिश्चित हो सके। पहचान लोगों को व एक देश को पहचान कर आता है इसके कारण से देश दूसरे देश के बारे में कल्पना व भविष्यवाणी कर पाते हैं। इसी के चलते देश दूसरे देशों के कार्य (Action), अभ्यास (Practice), व्यवहार (Behaviour), के बारे में जान पाते हैं। किसी राज्य की पहचान उसकी प्राथमिकताओं और परिणामी कार्यों से होती है। एक राज्य दूसरे को अपनी पहचान के अनुसार पहचानता है। पहचान से ही हम दूसरे राज्यों के हितों को भी जानकारी पा सकते हैं तथा यह अन्य राज्यों के व्यवहार की जानकारी भी प्रदान करता है।

उदाहरण के लिए- शीत युद्ध के दौरान युगोस्लाविया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के अक्सर सोवियत संघ को रूस के रूप में समझा इस तथ्य के बावजूद कि सोवियत संघ उस पहचान को ना करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था।

रचनावाद का मानना है कि राज्यों की पहचान तथा हित परिवर्तनशील होता है। वे संभवतः ऐतिहासिक सांस्कृतिक राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ पर निर्भर करता है।

The Power of Practice

शक्ति अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत के लिए व रचनात्मक दोनों दृष्टिकोणओं के लिए एक केंद्रीय सैद्धांतिक तत्व है लेकिन शक्ति की उनकी अवधारणा बहुत अलग है। नव-यथार्थवादी और नव-उदारवादी, संस्थागतवाद उस भौतिक शक्ति को मानते हैं चाहे सैन्य या आर्थिक या दोनों वैश्विक राजनीति में प्रभाव और अधिकार का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हो। 

रचनावादी का तर्क है कि भौतिक और तार्किक शक्ति दोनों ही विश्व मामलों के किसी भी समझ के लिए आवश्यक है। मिशेल फूको की शक्ति / ज्ञान की अभिव्यक्ति, एंटोनियो ग्रामस्की के वैचारिक आधिपत्य के सिद्धांत, यह सभी राजनीतिक जीवन में शक्ति पर रचनावाद की स्थिति के लिए अग्रदूत हैं।

संक्षेप में कहा जाए तो अभ्यास (Practice) तार्किक शक्ति है, जो Idea, Ideology, Culture, Social Norms को शामिल करता है। शक्ति का उपयोग केवल भौतिक पदार्थ के रूप में नहीं किया जाता । यह डिस्कर्सिव (Discursive) तार्किक भी है। 

Change In World Politics

रचनावादी विश्व राजनीति  में बदलाव के बारे में आगे हैं। यह दुनिया के मामले में बहुत विविधता और अंतर को  पुनः स्थापित करता है। और उन प्रभाव को इंगित करता है जिनके द्वारा प्रतिवेदन आदेश इंटरसब्जेक्टिव आर्डर बनाए रखा जाता है। लेकिन यहां नव यथार्थवादियों से विश्व राजनीति में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं की जाती है।

 रचनावाद के अनुसार आराजकता वह है जो राज्य इसे बनाते हैं। उदाहरण के लिए, दुनिया में अराजकता की कई अलग-अलग समझ है और इसलिए राज्य की कारिवाई केवल आत्म-सहायता से अधिक विविध होनी चाहिए। अर्थात रचनावाद की अवधारणा एजेंसी और संरचना के बीच संबंध का आधार है कि सामाजिक परिवर्तन संभव और कठिन दोनों है। 

Constructivism: Conventional and Critical

रचनावाद, आलोचनात्मक सिद्धांत में अपने और इसकी उत्पत्ति के बीच सैद्धांतिक और ज्ञान मीमांसा की दूरी बनाता है और यही पारंपरिक रचनावाद बनता है। पारंपरिक और आलोचनात्मक रचनावाद सैद्धांतिक बुनियादी बातों को साझा करते हैं तथा दोनों का उद्देश्य सामाजिक दुनिया को अप्रकृतिक बनाना है। दोनों का मानना है कि अंतव्यक्तिपरक की वास्तविकता और अर्थ सामाजिक दुनिया को समझने के लिए महत्वपूर्ण डेटा है। तथा दोनों इस बात पर भी जोर देते हैं कि सभी डेटा को संदर्भात्मक होना चाहिए।

दोनों ही निम्न को मानते हैं:- 

  • Human Agency
  • Power of practice
  • Nexus Knowledge of power

पारंपरिक रचनावाद मतभेदों और पहचान के बारे में कई समझ में विश्वास करता है तथा यह अभी भी यह मानता है कि उन परिस्थितियों का एक सेट निर्दिष्ट कर सकता है जहां एक विशेष पहचान बनाया जा सकता है। पारंपरिक रचनावाद न्यूनतम सार्वभौमिकता में विश्वास करते हैं तथा इसे वह संभव और आवश्यक मानते हैं जबकि आलोचनात्मक सिद्धांत इसे अस्वीकार करते हैं।

आलोचनात्मक सिद्धांत का उद्देश्य पहचान गठन से जुड़े मिथ्य को स्पष्ट करना है जबकि कन्वेंशनल रचनावाद उन पहचानो को कार्यवाही के संभावित कारणों के रूप में मानना चाहते हैं। पारंपरिक रचनावाद पहचान के अस्तित्व को स्वीकार करता है और उनके पुनरुत्थान और प्रभाव को समझना चाहता है लेकिन आलोचनात्मक रचनावाद पहचान की उत्पत्ति और समझ को निर्दिष्ट करने के लिए आलोचनात्मक सामाजिक सिद्धांत का उपयोग करते हैं। यह पहचान को शक्ति के रूप में देखते हैं।

A Constructivist Research Agenda

इस शोध के एजेंडे को तीन खंडों में प्रस्तुत किया गया है:-

  • पहला:- यह दर्शाता है कि रचनावाद मुख्यधारा के अंतरराष्ट्रीय संबंध के सिद्धांतों से कुछ प्रमुख Puzzles की प्रतिस्पर्धात्मक समझ प्रदान करता है।
  • दूसरा:-  सुझाव देता है कि नहीं और अभिनव पजल्स रचनावाद को बढ़ावा बढ़ाने का वादा करता है।
  • तीसरा:-  अंतिम चरण रचनावाद के लिए अपनी कमजोरियों को इंगित करता है।

1. Mainstream Puzzles, constructivist Solutions

Balance of Threat [खतरे का संतुलन]

नव यथार्थवादी हमें बताते हैं कि शक्ति के खिलाफ राज्य सहयोगी है। स्टीवन वॉल्ट का कहना है यह अनुभाविक रूप से गलत है तथा राज्य खतरो के खिलाफ सहयोगी है अर्थात यह तय करने का प्रयास किया गया था कि राज्य संतुलन बनाएंगे लेकिन शक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि विशेष प्रकार की शक्ति के खिलाफ।

security dilemma [सुरक्षा की दुविधा]

सुरक्षा दुविधाएं अनिश्चितता के अनुमान के उत्पाद हैं। उन्हें विश्व राजनीति में आम माना जाता है क्योंकि राज्यों को निश्चित रूप से पर्याप्त निश्चितता या आत्मविश्वास के साथ दूसरों के इरादों का पता नहीं चल सकता। राज्य अलग अलग राज्यों को अलग अलग तरीके से समझते हैं। ब्रिटिश निर्णय निर्माताओं के लिए सोवियत और फ्रांसीसी परमाणु क्षमताओं के अलग-अलग अर्थ थे लेकिन निश्चित रूप से निश्चितता हमेशा सुरक्षा का स्रोत नहीं होती है।

Neo liberal cooperation [नव उदार सहयोग]

नव उदारवाद के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि कैसे राज्य आपस में सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। यहां तक कि जब वे एक दूसरे का शोषण करना पसंद करते हैं तब भी सहकारी परिणाम हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं चाहे वे शासन, कानून, संधियों या संगठनों के रूप में सहयोग के लिए इन आवश्यक शर्तों को प्रदान करने में सहायता करती हैं।

रचनावाद नव उदारवाद के निष्कर्ष को साझा करता है कि अराजकता के तहत सहयोग संभव है।

The Democratic Peace [लोकतांत्रिक शांति]

लोकतांत्रिक राज्यों ने एक दूसरे से संघर्ष नहीं किया है। यह अवलोकन एक सिद्धांत की खोज में एक अनुभवजन्य अनियमितता है। Ergo का कहना है कि अगर लोकतंत्र एक दूसरे से नहीं लड़ते हैं तो इसका मतलब यह है कि वह एक दूसरे को समझते हैं तथा एक दूसरे के अंतव्यक्तिपरक खातों और उन खातों के साथ होने वाले सामाजिक अंत-व्यवहार को भी समझते हैं। परंतु यहां कुछ का मानना है कि केवल लोकतांत्रिक क्षेत्र में ही शांति संभव नहीं है। वह कहते हैं अफ्रीका लैटिन अमेरिका जैसे देशों में लोकतंत्र का इतिहास ना होने पर भी शांति कायम रही है। 

2. Constructivist Puzzles

रचनावाद पहचान की राजनीति का लेखा-जोखा पेश करती है। यह एक तरीका प्रस्तावित करता है। यह समझने का की राष्ट्रवाद जातीयता, नस्ल, लिंग, धर्म, और कामुकता, प्रत्येक वैश्विक राजनीति के एक खाते में शामिल है। रचनावाद इन मुद्दों से निपटने का वादा करता है। वे इस बात के लिए केंद्रीय है कि कैसे रचनावाद सामाजिक घटनाओं को समझ पैदा करता है।

एक ही राज्य वास्तव में विश्व राजनीति में कई अलग-अलग अभिनेताओं और प्रत्येक की पहचान के आधार पर अलग अलग राज्य दूसरे राज्यों की ओर अलग अलग व्यवहार करते हैं। पहचान प्रत्येक राज्य को अन्य राज्यों उसके स्वभाव, उद्देश्य हेतु संभावित कार्यों, दृष्टिकोण, और किसी भी राजनीतिक संदर्भ में भूमिका की समझ प्रदान करती है। । विश्व राजनीति में किसी भी राज्य की पहचान आंशिक रूप से सामाजिक उत्पाद है। इस प्रकार घरेलू राजनीति में पहचान की राजनीति और विदेश में राज्य की पहचान, हितों और कार्यों को सक्षम बनाता है।

3. Constructivist Problems

पारंपरिक रचनावाद में एक बड़ी समस्या है जिसके कई किस्से हैं। Friedrich Kratochwil ने देखा कि संस्कृति का कोई भी सिद्धांत राजनीतिक सिद्धांत का विकल्प नहीं बन सकता है। Paul Kowert or Jeffrey Legro ने बताया कि  “Katzenstin Volume” में किसी भी लेख द्वारा प्रस्तुत पहचान निर्माण का कोई कारण नहीं है। दोनों आलोचनाएं जितनी अलग हैं उतनी ही सटीक हैं और अलग-अलग उपाय हैं।

Friedrich Kratochwil का कथन इस बिंदु को पुष्ट करता है कि रचनावाद एक दृष्टिकोण है सिद्धांत नहीं। और अगर यह एक सिद्धांत है तो यह प्रक्रिया का सिद्धांत है ना कि ठोस परिणाम का। रचनावाद के साथ अंतिम समस्या वास्तव में इतनी समस्या नहीं है क्योंकि यह एक फायदा है। रचनावाद का सिद्धांत और प्रक्रिया की प्रतिबद्धता की व्याख्या करने वाले मोटे विवरण के लिए विस्तृत अनुभवजन्य डाटा के पहाड़ों को इकट्ठा करने के लिए शोधकर्ता पर असाधारण मांग करते हैं। 

Similar Posts

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *