अवसर की समानता जॉन रॉल्स के विचार | Equality of opportunity
अवसर की समानता
(Equality of opportunity)
By:- Rawls
अवसर की समानता का अर्थ है किसी भी प्रकार के वंशानुगत तथा विशेष वर्ग की अनुपस्थिति । अर्थात समाज में लोगों के बीच भेदभाव करने के कोई कृतिम आधार नहीं होने चाहिए जैसे- जन्म, धर्म, जाति, रंग, व लिंग, आदि । ताकि समाज में योग्यता को प्रोत्साहन के अभाव में निराशा का मुंह ना देखना पड़े ।
दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है कि सार्वजनिक पदों जिसे कोई प्राप्त करना चाहता है, पर केवल उन्हीं को बैठने का अधिकार है जो इस के योग्य हैं । अवसर की समानता इस प्रकार के किसी भी प्रबंधन को अस्वीकार करती है कि समाज में कुछ लोगों के गुण वंशानुगत दृष्टिकोण जो अन्य से अधिक है ।
अधिकारों के आधार पर अवसर की समानता
अवसर की समानता का आशय की राज्य अपने नागरिकों में जन्म, जाति, रंग, नस्ल, धर्म, लिंग, के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा । इसका अर्थ अधिकारों की समानता अर्थात जो अधिकार किसी एक व्यक्ति को राज्य का नागरिक होने के नाते मिले हुए हैं, दूसरे व्यक्ति को भी इसी प्रकार मिलने चाहिए ।
1. कानूनी स्तर पर, अवसर की समानता का अर्थ है कानून के समक्ष समानता अर्थात सभी व्यक्ति समान होते हैं और वे सभी कानून के समक्ष समान हैं।
2. राजनीतिक स्तर पर, इसका अर्थ है राज्य के कार्यों में भागीदारी के समान अवसर अर्थात समान राजनीतिक अधिकार।
3. सामाजिक स्तर पर, इसका अर्थ है व्यक्तिगत विशेषताओं पर आधारित किन्ही मनमर्जी के बंधनों के बिना किसी भी व्यक्ति को अपने हितों या व्यवसाय को आगे बढ़ाने का अवसर ।
अवसर की समानता यह मांग भी करती है कि महाविद्यालयों, स्कूलों, तथा विश्वविद्यालयों में प्रवेश के अवसर सभी के लिए खुले हो और इसमें चयन का आधार केवल सीखने की इच्छा योग्यता होना चाहिए । इसी तरह वे सभी सार्वजनिक पद भी सभी के लिए खुले होने चाहिए तथा उनका आधार भी केवल योग्यता होना चाहिए ।
रोल्स का भेद मूलक सिद्धांत
समानता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को भेद मूलक सिद्धांत कहा जाता है । भेद मूलक सिद्धांत का क्या अर्थ है?
समाज इस प्रकार प्रबंध करें जिसके माध्यम से कुछ लोगों को अन्य से अधिक शक्ति, आय, तथा आदर, मिले। उदाहरण के लिए- प्रबंधको, इंजीनियरों को निम्नस्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों से अधिक वेतन मिले बशर्ते कि उन शर्तों को पूरा किया जाए । प्रबंध उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगा जो उनसे निम्नस्तर पर हैं.
जॉन रॉल्स ने अपनी पुस्तक में “theory Of Justice” में भेद मूलक सिद्धांत की व्याख्या की है साथ ही यह तर्क दिया कि इस वास्तविक संसार के ढांचे को चलाने के लिए अज्ञानता के परदे के पीछे आत्म स्वार्थी विवेकशील व्यक्ति न्याय के इन दो सिद्धांतों को चुनेंगे:-
1. समान स्वतंत्रता का सिद्धांत
प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्रता का अधिकार रखता है जो दूसरों को ऐसी ही स्वतंत्रता के अधिकार के समान है ।
2. भेद मूलक सिद्धांत
सामाजिक तथा आर्थिक समानताओं को इस प्रकार किया जाए कि वह पदों तथा स्थितियों के साथ जुड़ी हो जो अवसर की उचित समानता की शर्तों पर सभी के लिए खुली हो तथा समाज के निम्नतम व्यक्तियों को अधिकतम लाभ पहुंचाए ।
रोल्स के अनुसार मूल पदार्थों के संदर्भ में सभी व्यक्तियों की प्रारंभिक अपेक्षाएँ समान होनी चाहिए अर्थात सामान्य आवश्यकता वाले पदार्थों जैसे- अधिकार, स्वतंत्रता, शक्ति, अवसर, आय, तथा धन, आदि इसी को रोल्स अवसर की समानता कहते हैं ।
भेद मूलक सिद्धांत वस्तुओं के वितरण में असमानताओ को इस शर्त पर आज्ञा देता है कि यह असमानताएं समाज के निम्नतम वर्ग का भला करें । यह सिद्धांत मूल्य स्थिति में लोगों के बीच एक विवेकपूर्ण चयन होगा । रोल्स के अनुसार असमानता को तभी स्वीकार किया जा सकता है, यदि यह सब की भलाई में हो जो समाज में सबसे निम्न स्थिति में हैं । भेद मूलक सिद्धांत की मान्यता है कि सबसे अच्छा तरीका खतरे को कम से कम करना है, हालांकि या उतना सरल नहीं है ।