शहरी शासन [Panchayati Raj] पर Abhijit Datta और Meera Mehta के विचार

प्रतिनिधित्व का मुद्दा शहरी शासन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है । जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के स्टॉकहोल्डर्स तथा एनजीओ अपनी भूमिका निभाते हैं। एनजीओ मुख्य रूप से समाज के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती है । क्योंकि वर्तमान समय में सरकार तथा एनजीओ एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं । इसीलिए सरकार को एनजीओ की एक सलाहकार के रूप में नामांकन एक सहभागी के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता है ।

शहरी शासन में प्रतिनिधित्व की अवधारणा को नया नहीं कहा जा सकता किंतु वर्तमान में सहभागिता की अवधारणा परिवर्तित हो रहा है जिसको निम्न प्रकार से समझा जा सकता है। इस संबंध में मुख्य तीन विचार हैं:-

वैकल्पिक विकास:-  यह ऐसा विकास होता है जिसमें मुख्य रुप से लोगों के विकास पर जोर दिया जाता है अर्थात नागरिक केंद्रित विकास । इसमें जनता के कार्यों को सर्वोच्चता प्रदान की जाती है तथा सभी राजनीतिक कार्यों को यहां तक कि राज्य के कार्यों को भी नकार दिया जाता है ।

इनमें महिलाओं की भूमिका, पर्यावरण, तथा सामूहिक संरक्षण, भूख, गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, सामाजिक संघर्षों आदि पर ध्यान दिया जाता है। 

नागरिक समाज के लिए आरक्षण:- राष्ट्रीय नीतियों, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों आदि में एनजीओ की भूमिका से संबंधित पिछले कुछ वर्षों में एनजीओ की नीतियों में काफी परिवर्तन आया है । इन परिवर्तन के कारण ही एनजीओ शहरी शासन में जनता के प्रतिनिधित्व के रूप में उभर कर सामने आया है ।

Institutional Aspact of Urban governance

Abhijit Datta

Participation and Urban Governance

Meera Mehta

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