निर्णय निर्माण सिद्धांत [Decision-making] हर्बर्ट साइमन
Herbert A. Simon on making decision
By_ Behrooz Kalantari
परिचय
हर्बर्ट साइमन का जन्म 1916 में Milwaukee, wisconsin हुआ था उन्होंने 1936 में B.A और 1983 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की तथा उन्हें 1978 में नोबेल मेमोरियल अवार्ड दिया गया उनके डिसीजन मेकिंग प्रोसेस के अनुसंधान पर इसके अतिरिक्त भी इन्हें कई अवार्ड और सम्मान प्राप्त हुए हैं ।
साइमन ने कई स्कॉलर्स के साथ मिलकर भी सहयोग किया है जैसे- Allen Newell, Edward Feigenbaum, Anders Ericsson, James march साइमन अपने समय के एक प्रसिद्ध राजनीतिक और सामाजिक वैज्ञानिक थे ।
साइमन ने अंत विषय सामाजिक अनुसंधान में विश्वास किया था तथा सामाजिक दबाव का विरोध किया था साइमन के दिमाग में कम उम्र से ही यह बात चल रही थी कि मानव व्यवहार का वैज्ञानिक रूप से कैसे अध्ययन किया जा सकता है अतः उनके विचार:-
- Human Decision making
- Problem solving
- Bounded Rationality
- Causal Reasoning जैसे थे ।
इनका मुख्य लक्ष्य निर्णय निर्धारण में लोगों द्वारा प्रयोग किया गया चिंतन प्रक्रिया की प्रकृति और क्रियाविधि का विश्लेषण करना था । जब उन्होंने 1947 में Administrative Behavior Study of Decision Making Process in Administrative Organization को प्रकाशित करते हैं तो इसमें वे प्रशासन की पारंपरिक अवधारणाओं की आलोचना करते हैं ।
वह प्रबंधन के पारंपरिक सिद्धांतों की भी आलोचना करते हैं उसे उन्होंने प्रशासन के जो पुराने सिद्धांतों की अवधारणा थी उस पर प्रश्न उठाया तथा कहा कि यह प्रशासन के “मुहावरे” हैं । उन्होंने तर्क दिया कि तथाकथित सिद्धांत अक्सर एक-दूसरे के साथ संघर्ष करते रहते हैं तथा वह वैज्ञानिक जांच तक नहीं करते हैं इसीलिए यह जटिल स्थितियों में लागू नहीं होते और और इसीलिए इन्हें सिद्धांत नहीं कहा जा सकता
साइमन ने वैज्ञानिक व्यवहार के लिए तथ्यात्मक प्रस्ताव की वकालत की तथा इनका अधिक जोर तर्कसंगतता पर था जिसने इन्हें तथ्यों और मूल्यों के पृथक्करण पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया और तर्क दिया कि तथ्य अनुभवजन्य है और वैज्ञानिक रूप से सत्यापित हो सकते हैं ।
उन्होंने प्रशासनिक निर्णय को अधिक तर्कसंगत बनाने के लिए प्रशासन को एक विज्ञान बनाने पर जोर दिया । साइमन ने कहा कि निर्णय लेना प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और निर्णयों का परिणाम उस प्रक्रिया पर निर्भर करता है जिसका उपयोग निर्णय लेने में किया जाता है अर्थात उन्होंने Bounded Rationality Model को विकसित किया जो इस विचार की वकालत करता है कि मनुष्य केवल आंशिक रूप से तर्कसंगत है ।
निर्णय निर्माण प्रक्रिया
साइमन ने निर्णय निर्माण की प्रक्रिया को मुख्य रूप से तीन चरणों में बांटा है:-
- Intelligence Activity बौद्धिक गतिविधि
- Design Activity प्रारूप गतिविधि
- Choice Activity विकल्प चयन गतिविधि
1. बौद्धिक गतिविधि
साइमन के अनुसार इस प्रथम चरण में समस्या का पता लगाया जाता है तथा प्रश्नों की तलाश की जाती है। आवश्यक सूचना, आंकड़े, एवं तथ्यों, को एकत्र किया जाता है तथा इसमें निर्णय लेने के अवसरों तथा स्थितियों का पता लगाया जाता है ।
2. प्रारूप गतिविधि
साइमन के अनुसार इस चरण में समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न विकल्पों तथा विभिन्न क्रिया विधियों का निर्माण किया जाता है इसमें निर्णय कर्ताओं के मन में मुख्य रूप से आठ प्रकार के विकल्प सामने आते हैं । अतः यह चरण समस्या तथा उसके संभावित विकल्पों के आकलन एवं समाधान के संबंध में सोचने विचारने का है ।
3. विकल्प चयन गतिविधि
साइमन के अनुसार इस अंतिम चरण में समस्याओं के समाधान के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों व कार्य विधियों में से किसी एक का चयन कर लिया जाता है उस विकल्प को जो सर्वश्रेष्ठ हो ।
अतः देखने में यह तीनों चरण साधारण और एक दूसरे के क्रमगत लगते हैं लेकिन व्यवहार में यह बहुत जटिल हैं क्योंकि इनमें से प्रत्येक चरण का निर्णय प्रक्रिया में अपनी अलग भूमिका होती है ।
Classical & Neo-Classical Theories vs Bounded Rationality
क्लासिकल और नव क्लासिकल सिद्धांत के अनुसार निर्णय निर्माण का मुख्य लक्ष्य तार्किक होता है अर्थात सबसे पहले समस्या या मुद्दों के जांच के अंतर्गत सभी प्रकार के उससे संबंधित जानकारी व आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है ।
दूसरे चरण में विभिन्न संभावित विकल्पों को उत्पन्न किया जाता है तथा इन विकल्पों के परिणामों की जांच की जाती है तथा अंत में जो इनमें से सबसे सर्वोत्तम विकल्प होता है उसका चयन किया जाता है ।
Bounded Rationality यह निर्णय निर्माता की तर्कसंगतता कि धारणा को चुनौती देती है तथा उसकी Cognitive Limitations पर जोर देती है और ऐसी प्रक्रिया द्वारा लिया निर्णय संतोषजनक होगा अर्थात साइमन का Bounded Rationality का सिद्धांत व्यवहार सिद्धांत पर आधारित है ।
साइमन के अनुसार चयन करते समय तार्किक होना जरूरी है वह तार्किकता को मूल्य व्यवस्था में प्राथमिकता पूर्ण वैकल्पिक व्यवहार के चयन के रूप में लेते हैं । जिसके व्यावहारिक परिणामों का मूल्यांकन संभव है । साइमन कहते हैं कि किसी भी प्रकार के चयन के लिए उस संबंध में हर तरह का ज्ञान आवश्यक है साथ ही इस चयन के परिणामों का पूर्वानुमान भी आवश्यक है ।
Two Types of Decision Making
- Normative Decision / Programed
- Descriptive Decision/ Unprogrammed
Programed (निश्चित निर्णय)
निश्चित निर्णय से तात्पर्य है कि एक निश्चित कार्यक्रम या उसकी रूपरेखा हमारे दिमाग में है उसको क्रियान्वित करने से उसका समाधान स्वता ही प्राप्त हो जाता है हर सरकारी नियम या उप नियम एक कार्यक्रम है और उसके क्रियान्वयन से एक निश्चित निर्णय प्राप्त होता है ।
उदाहरण के लिए नियम यह है कि निर्धारित सरते पूर्ण करने वाले आवेदक को लाइसेंस दे दिया जाए ऐसे मामलों में यह निर्णय करते समय कि आवेदक को लाइसेंस दिया जाए या ना दिया जाए हम केवल यह देखते हैं कि उसने निर्धारित करते पूरी की है या नहीं।
Unprogrammed (अनियोजित निर्णय)
यह निर्णय होते हैं जो नए संरचनाविहीन, परिणामदायक और स्वतंत्र रूप से नियंत्रण संभालने वाले होते हैं क्योंकि उनके लिए पहले से बनी बनाई कोई कार्यपद्धती नहीं होती । ऐसे हर मामले में कार्यकारी अधिकारी को नया निर्णय लेना पड़ता है।
नियोजित निर्णय को लागू करने की तकनीकें- स्वभाव, ज्ञान, तथा कुशलता, और अनौपचारिक संवाद, माध्यम, इत्यादि।
अनियोजित निर्णय को लागू करने के उपाय हैं:- अधिकारियों को चयन और प्रशिक्षण से हासिल उच्च स्तरीय कुशलता तथा उनमें प्रयोगधर्मिता की क्षमता इत्यादि।
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निर्णय निर्माण के दो अन्य तत्व
साइमन अपनी रचना Administrative Behavior में दो तत्वों पर प्रमुखता से जोड़ देते हैं:-
- तथ्य
- मूल्य
इनके अनुसार निर्णय से तात्पर्य तत्वों और मूल्य तत्वों का उचित योग होता है तथ्य यथार्थ की अभिव्यक्ति हैं जो स्वयं चीजों की मौजूदा स्थिति कृत्य और व्यवहार का सूचक होता है किसी तथ्य पूर्ण आधार वाक्य को पर्यवेक्षण के और मापनीय साधनों से साबित किया जा सकता है ।
इसके विपरीत मूल्य से तात्पर्य पसंद से है मूल्य प्राथमिकताओं की अभिव्यक्ति है मूल्यगत आधार वाक्य सिर्फ कुछ स्थितियों में ही वैध माने जा सकते हैं ।
साइमन :- प्रत्येक निर्णय अनेक तथ्यों और एक या अनेक मूल्य वक्तव्य का परिणाम होता है ।