शक्ति की अवधारणा | फूको का पेनऑप्टिकन (Panopticism) मॉडल

Panopticism

By:- बेंथम

फूको की शक्ति की अवधारणा का वर्णन बेंथम ने की है तथा वे पेनऑप्टिकन को प्रस्तुत करते हैं। वह कहते हैं कि हम उस सिद्धांत को जानते हैं जिस पर यह परिधि आधारित था। एक कुंडलाकार ईमारत जिसके केंद्र में एक टावर स्थापित है। इस टावर को चोडी खिड़कियों के साथ स्थापित किया गया है। जो रिंग के अंदरूनी तरफ खुलता है तथा परधीयी इमारत को सेल्स में विभाजित किया जाता है। जिनमें से प्रत्येक भवन की पूरी चौड़ाई का विस्तार करता है। उनके पास दो खिड़कियां हैं एक अंदर की तरफ टावर की खिड़कियों की ओर तथा दूसरा आउटसाइड पर प्रकाश को एक छोर से दूसरे छोर तक सेल को पार करने की अनुमति देता है ।बेंथम इस प्रकार से पेनऑप्टिकन की संरचना का वर्णन करते हैं तथा इसी पेनऑप्टिकन पर आधारित फूको की शक्ति का वर्णन करते हैं ।

पेनऑप्टिकन तंत्र स्थानिक एकता की व्यवस्था करता है। जो लगातार देखने और तुरंत पहुंचने के लिए संभव बनाता है। संक्षेप में कहा जाए तो यह कालकोठरी जिसके प्रमुख तीन कार्य होते हैं:-

  • संलग्न करने के लिए

  • प्रकाश से वंचित करने

  • छिपाने के लिए

यह कालकोठरी इसके तीन कार्यों के सिद्धांत को उलट देता है तथा यह केवल पहले को संरक्षित करता है और अन्य को समाप्त करता है ।यह एक महत्वपूर्ण तंत्र है क्योंकि यह शक्ति को स्वचालित और निष्क्रिय कर देता है। तथा पेनऑप्टिकन पुरुषों पर प्रयोग के लिए एक विशेष अधिकार प्राप्त जगह है।  पूरी निश्चितता के साथ विश्लेषण करने के लिए उससे प्राप्त किया जा सकता है ।

बेंथम के अनुसार इस केंद्रीय टावर से निर्देशक सभी कर्मचारियों की जासूसी कर सकता है। अपने आदेशों के तहत नर्स, डॉक्टर, फोरमैन, शिक्षक, वॉर्डर, अर्थात यह इन्हें लगातार आदेश देने में सक्षम होंगे व उनके व्यवहार को बदल सकते हैं या बदलाव ला सकते हैं। उन तरीकों को लागू कर सकते हैं जो इनके लिय सबसे अच्छा हो।  

तथा बेंथम यह भी कहते हैं कि निर्देशक को स्वयं निरीक्षण करना भी संभव होगा। पेनऑप्टिकन के केंद्र में एक इंस्पेक्टर है जो एक नजर में न्यायधीश में सक्षम हो जाएगा।  बिना निर्देशक के कुछ उपाय व यह जानने में सक्षम होगा कि पूरा प्रतिष्ठान कैसे काम कर रहा है।

पेनऑप्टिकन शक्ति की एक प्रयोगशाला की तरह काम करता है या क्षमता हासिल करता है। और पुरुषों के व्यवहार, ज्ञान में शक्ति की प्रगति का अनुसरण करता है।  ज्ञान की नई वस्तुओं की खोज उन सभी स्थानों पर करता है, जिन पर शक्ति का प्रयोग किया जाता है ।

पेनऑप्टिकन को एक स्वप्न भवन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यह शक्ति के एक तंत्र का आलेख है। जो इसके आदर्श रूपी कार्यप्रणाली में कम होता है। यह अपने अनुप्रयोगों में बहुआयामी है। यह  कैदियों को शरण देने का काम करता है, लेकिन मरीजों के इलाज के लिए, स्कूली बच्चों को निर्देश देने के लिए, पागल को कैद करने व श्रमिकों की निगरानी करने के लिए भी काम करता है ।

पेनऑप्टिकन तंत्र केवल एक काज नहीं है शक्ति के एक तंत्र और फंक्शन के बीच आदान-प्रदान का एक बिंदु है। बेंथम यहां अनुशासन के दो चित्र प्रस्तुत करते हैं:-

पहला: अनुशासन समाज के किनारों पर स्थापित नाकाबंदी, संलग्न संस्था, व नकारात्मक कार्यों को करने से रोंकती है। संचार को तोड़ती है, समय को निलंबित करती है ।

दूसरा: यहां पेनऑप्टिकन के साथ अनुशासन तंत्र एक कार्यात्मक तंत्र है। जिसे शक्ति को हल्का बनाने के लिए अभ्यास को बेहतर बनाना चाहिए। 

The Junctional inversion of the discipline

(अनुशासन का जंक्शनल इनवर्सन)

पहले उन्हें खतरों को बेअसर करने, बेकार या अशांत आबादी को ठीक करने, बड़ी-बड़ी विधानसभाओं की असुविधाओं से बचने की उम्मीद की गई थी । लेकिन अब उन्हें एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए कहा जा रहा है, क्योंकि वह ऐसा करने में सक्षम हो रहे थे। ताकि व्यक्तियों की संभावित उपयोगिता बढ़ सके अर्थात सैन्य अनुशासन अब केवल लूट को रोकने का साधन नहीं है ।

अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के कौशल को बढ़ाता है। आंदोलन को तेज करता है। अग्नि शक्ति बढ़ाता है। अपनी शक्ति को कम किए बिना हमले के मोर्चे को व्यापक बनाता है, तथा प्रतिरोध के लिए क्षमता बढ़ाता है आदि। 

The swarming of disciplinary mechanisms

(अनुशासनात्मक तंत्र की भीड़)

हालांकि एक ओर अनुशासनात्मक प्रतिष्ठानों में वृद्धि होती है। अनेक तंत्र में डी-इंस्टीट्यूशनलाइज्ड बनाने की एक निश्चित प्रवृत्ति होती है। बंद किलो से उबरने के लिए जिसमें वह एक बार कार्य करते हैं, और मुक्त स्थिति में बड़े पैमाने पर संचालन करते हैं। अनुशासन नियंत्रण के सहायक तरीकों में टूट जाते हैं, जो हस्तांतरण और अनुकूलपित हो सकते हैं। 

इसे अनुशासनात्मक प्राक्रियाओं के प्रसार के रूप में देखा जाता है। संलग्न संस्थानों के रूप में नहीं बल्कि पूरे समाज में केंद्रित  के अवलोकन के रूप में, इसके अतिरिक्त धार्मिक समूहों और धर्मार्थ संगठन में लंबे समय से आबादी को अनुशासित करने की भूमिका निभाई थी

The state control of the mechanism of discipline

(अनुशासन के तंत्र का राज्य नियंत्रण)

एक केंद्रीकृत पुलिस का संगठन लंबे समय से समकालीनओ द्वारा भी माना जाता था। क्योंकि शाही प्रभुत्व का सबसे प्रत्यक्ष प्रसार संप्रभु में अपने स्वयं के मजिस्ट्रेट की इच्छा की थी। जिसे वह सीधे अपने आदेशों अपने आयोगों इरादों के साथ सौंप सकता था और जिन्हें सौंपा गया था ।

लेकिन पुलिस को एक संस्था के रूप में निश्चित रूप से एक राज्य तंत्र के रूप में संगठित किया गया था। हालांकि यह निश्चित रूप से राजनीतिक संप्रभुता के केंद्र से सीधे जुड़ा हुआ था। पुलिस सत्ता को हर चीज पर धारण करना चाहिए हालांकि यह राज्य की समग्रता नहीं है और ना ही राज्य की दृश्यता और सम्राट का शरीर है। यह घटनाओं, कार्यों, व्यवहारों, विचारों की धूल है।

अनुशासनात्मक समाज का गठन व्यापक ऐतिहासिक प्रक्रियाओं की संख्या तथा आर्थिक, न्यायिक, राजनीतिक, और अंत में वैज्ञानिक जिसका वह हिस्सा है के साथ जुड़ा है। 

1. सामान्यता यह कहा जा सकता है कि अनुशासन मानव बहुलताओ के क्रम को सुनिश्चित करने की तकनीक है।  

पहला: कम से कम संभव लागत पर आर्थिक रूप से शक्ति का अभ्यास प्राप्त करने के लिए, 

दूसरा: इस सामाजिक शक्ति के प्रभाव को तब तक लाना जब तक संभव हो विस्तारित करने के लिए,

तीसरा: इस आर्थिक विकास को शक्ति के उत्पादन के साथ जोड़ने के लिए (शैक्षिक, सैन्य, औद्योगिक या चिकित्सा),

The panoptic Modality of power

(शक्ति का पैनोप्टिक तौर-तरीका)

प्राथमिक, तकनीकी केवल भौतिक स्तर पर है। तत्काल निर्भरता या किसी समाज के महान न्यायिक राजनीतिक संरचनाओं के प्रत्यक्ष विस्तार के तहत नहीं है फिर भी यह बिल्कुल स्वतंत्र नहीं है। 

राजनीतिक शक्ति पैनापटिसिजम ने तकनीक का गठन किया जो कि सर्वभौमिक रूप से व्यापक रूप से किया गया जबकि न्यायिक प्रणाली सर्वभौमिक मानदंडों के अनुसार न्यायिक विषयों को परिभाषित करती है। अनुशासित वर्गीकृत करती है। विशेष रूप से एक पैमाने के साथ वितरित करती है तथा एक मानक के आसपास एक दूसरे के संबंध में व्यक्तियों को श्रेणीबद्ध भी करती है। 

3.There is a long history behind the techniques taken one after the other.

(एक के बाद एक ली गई तकनीकों के पीछे एक लंबा इतिहास है)

18वीं शताब्दी में व्यक्ति की वृद्धि नियमित रूप से एक दूसरे को एक परिपत्र प्रक्रिया में मजबूत करती है। इस बिंदु पर विषयों ने तकनीकी सीमा पार कर ली पहले अस्पताल, फिर स्कूल, फिर बाद में कार्यशाला । यह तकनीकी प्रणालियों के लिए उचित कडी थी जो कि अनुशासनात्मक क्लिमेंट के भीतर क्लिनिकल मेडिसिन, चाइल्ड साइकोलॉजी, एजुकेशनल साइकोलॉजी, व लेबर के युक्तिकरण को संभव बनाता है। अनुशासनात्मक के विस्तार को एक व्यापक ऐतिहासिक प्रक्रिया में अंकित किया गया है।

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