लोक प्रशासन का नारीवादी दृष्टिकोण

नारीवादी परिप्रेक्ष्य एक प्रमुख परिप्रेक्ष्य है जो लैंगिक आधार पर समाज में शक्ति की गतिशीलता का परीक्षण करता है तथा समाज में महिलाओं तथा पुरुषों की स्थिति व कार्यों का विश्लेषण करता है । यह महिलाओं को उचित अभिव्यक्ति तथा स्थान देने पर केंद्रित है तथा इस बात पर प्रकाश डालता है कि पुरुष तथा महिलाएं किस प्रकार एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं । अतः इन के मध्य समान व्यवहार किया जाना आवश्यक है ।

सामाजिक आंदोलन एवं एक विचारधारा के रूप में नारीवाद महिलाओं की निम्न स्थिति तथा लैंगिक पक्षपात के कारण महिलाओं के प्रति किए जाने वाले भेदभाव तथा अधीनता का परीक्षण करता है । नारीवाद लेटिन भाषा के शब्द से “फेमीना” से निर्मित हुआ है जिसका अर्थ है महिला ।

फर्ग्यूसन लिखते हैं कि नारीवाद का उद्देश्य जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता को परिभाषित करना स्थापित करना तथा बनाए रखना है जिसमें महिलाओं व पुरुषों के लिए राजनीतिक आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव को दूर करने हेतु समान अधिकार व समान अवसर सम्मिलित है ।

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