राष्ट्रवाद के सिद्धांत और बहस
Nationalism
By_ Umut Ozkirimli
परिचय
राष्ट्रवाद की तुलना में किसी भी राजनीतिक सिद्धांत ने आधुनिक दुनिया के चेहरे को आकार देने में अधिक प्रमुख भूमिका नहीं निभाई है । दुनिया भर में लाखों लोगों ने स्वेच्छा से अपनी पित्र भूमि के लिए अपना जीवन लगा दिया है । Elestain के अनुसार इस तरह का अतिवाद हमारी सदी की कई महान और भयानक घटनाओं में आदर्श है। इस व्यापक प्रभाव के बाद भी सामाजिक विज्ञानिकों ने अभी तक राष्ट्रवाद को गंभीरता से नहीं लिया ।
19वीं तथा 20वीं सदी के अधिकांश समय के लिए इसे उदारवादियों और मार्क्सवादीओं द्वारा समान रूप से एक पारित चरण के रूप में देखा गया तथा बौद्धिक रूप से आप्रमाणिक के रूप में । यह केवल 1920 और 1930 के दशक में कुछ प्रमुख विचारको ने आगे बढ़ाया जो कि राष्ट्रवाद निरंतर अकादमिक जांच का विषय बन गया । इस दशक में कुछ विचारको ने राष्ट्रवाद को जांच का विषय के रूप में इसे लिया और उनके खातों में समाजशास्त्रीय कारकों का उपयोग किया ।
इन दशकों में राष्ट्रवाद के अध्ययन की संख्या और विविधता में गिरावट आई तथा एशिया और अफ्रीका में नए राज्यों के प्रसार का अनुभव हुआ । अधिकांश अध्ययनों ने राष्ट्रवाद को आधुनिकीकरण प्रक्रिया के रूप में देखा।
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राष्ट्रवाद