bible g45d00e6e6 640

उदारवाद क्या है | सम्पूर्ण जानकारी



उदारवाद का उदय

समुच रूप में उदारवाद एक महाकाय आन्दोलन था. जिसने पश्चिमी यरोप के देशों तथा अमेरिका में अपने अस्तित्व को महसूस कराया था. परन्त उसका मुख्य विकास इंग्लैण्ड में ही हो पाया था। यह इग्लण्ड तथा स्पेन में भी सशक्त रहा। जर्मनी में उदारवादी दर्शन अधिकांशतः विद्वतापूर्ण ही रहा। फ्रांस म, इग्लण्ड की विपरीत, उदारवाद एक वर्ग विशेष का सामाजिक दर्शन अधिक रहा, अपने स्वरूप में लागा क प्रति कुलीनतंत्रात्मक तथा मुख्यतः अपने कार्यों में समीक्षात्मक, क्योंकि इसे कभी भी राष्ट्रीय नाति का प्रोत्साहन नहीं मिला। यहाँ राजनीतिक उदारवाद अत्याचार के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया के रूप म मा उभरा।

उदारवाद

सर्वहारा वर्ग का आन्दोलन जो अपने रूप में समाजवादी तथा मौलिक था तथा जिसने वग संघर्ष के मार्क्सवादी चिन्तन में स्वयं को समा लिया था. फ्रांस में उदारवाद के आधार-नींव के मार्ग म बाधा बना रहा। केवल इंग्लैण्ड में ही, जो 19वीं शताब्दी के दौरान विश्व का एक अति उच्च स्तरीय आधागिक देश था, उदारवाद एक राष्टीय दर्शन तथा एक राष्टीय नीति के स्तर को प्राप्त करने में सफल हो पाया था। यहाँ पर उदारवाद ने व्यवस्थित तथा शान्तिपर्ण हस्तांतरण के नियमों को दशा प्रदान की, पहले उद्योग के लिए सम्पूर्ण स्वतंत्रता तथा मध्य वर्ग के लिए मताधिकार की प्राप्ति और अततः श्रमिक वर्ग के लिए मताधिकार एवं उद्योग के अति गंभीर कुप्रभावों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करके।

नकारात्मक उदारवाद व सकारात्मक उदारवाद

उदारवाद के सही अध्ययन के लिए उदारवाद को दो कालों में विभाजित करना एक प्रथा सी बन गयी है: क्लास्किी अथवा नकारात्मक उदारवाद तथा कल्याणकारी अथवा सकारात्मक उदारवाद। इस इकाई में हम क्लास्किी उदारवाद का अध्ययन करेंगे। ऐसा विभाजन आवश्यक इसलिए है कि अपने प्रारंभिक चरण में उदारवाद ने अपने आपको उभरते हुए मध्य वर्ग के दर्शन का प्रतिनिधित्व करने वाली विचारधारा के रूप में प्रस्तुत किया, परन्तु बाद के चरण में यह एक राष्ट्रीय जनसमुदाय के दर्शन के रूप में विकसित हो समाज के सभी वर्गों के हितों की सुरक्षा तथा उन्हें संरक्षण देने के आदर्श को अपनाने लगा। क्लास्किी उदारवाद क्रान्तिकारी काल की उपज था।

अतः निरंकुश राजतंत्रीय तथा सामंती कलीनतंत्र के विरुद्ध इस उदारवाद ने नवीन उभरते पूंजीपतियों के हितों को एक दूसरे के विरुद्ध देखा एवं समझा जाता था। दूसरी ओर, कल्याणकारी उदारवाद का मुख्य लक्षण व्यक्ति के हितो के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों व जनसमुदाय के हितों को स्वीकार करना था। कल्याणकारी उदारवाद का प्रयास न केवल राजनीतिक एवं नागरिक स्वतंत्रताओं का संरक्षक था, जिन्हें पहले के काल में व्यक्तिवाद मान्यता देता था, अपितु उनमें उद्योगवाद तथा राष्ट्रवाद के प्रगतिशील परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना था। फिलहाल, हम क्लास्किी उदारवाद पर एक नज़र डालते हैं।

उदारवाद क्या है?

उदारवाद एक अति गतिशील व लचीली संकल्पना है और इस कारण इसकी कोई निश्चित परिभाषा करना कठिन है। आरंभ से ही, इसमें निरंतर परिवर्तन आता रहा है, कभी कुछ इसमें जोड़ दिया गया और कभी इससे कुछ अलग कर दिया गया। एलबलास्टर लिखते हैं, “उदारवाद को किसी निश्चित तथा निरंकुश संकल्पना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और न ही इसे अपरिवर्तित नैतिक तथा राजनीतिक मूल्यों का एक समूह समझा जाना चाहिए। यह तो पुनर्जागरण तथा धर्मसुधार के साथ आरंभ हुए आधुनिक काल के विशिष्ट ऐतिहासिक आन्दोलन के विचारों से जुड़ा है। यह अनेक परिवर्तनों से होकर गुज़रा है और इस कारण इसके अर्थ हेत ऐतिहासिक न कि किसी स्थिर विश्लेषण की आवश्यकता है।

लास्की कहते हैं, “इस (उदारवाद) की व्याख्या आसान नहीं है, परिभाषित करना तो और भी कठिन है, क्योंकि यह कोई सिद्धान्त न होकन मस्तिष्क की एक सोच/आदत है।”

हैक्कर के शब्दों में, “राजनीति के शब्दकोष में उदारवाद एक सामान्य धारणा है। कोई वीर पुरुष ही इसकी परिशुद्ध परिभाषा कर सकता है। यह व्यक्ति की, राज्य की तथा दोनों के सम्बंधों की धारणा है।”

ग्राइम्स ने भी लगभग इस प्रकार का विचार व्यक्त किया है, “उदारवाद कोई निश्चित मत नहीं है, क्योंकि मतांधता के अपने अवरोधक होते हैं। यह सामाजिक समस्याओं (जो विवेक तथा मानवीय सत्यता पर बल देती है) के प्रति अपेक्षा अस्थायी/अंतरिम रवैया है।

उदारवाद एक लचीले दृष्टिकोण को लेते हुए आगे की ओर देखता है, अधिक लोगों के बेहतर भविष्य बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, रूढ़िवाद पीछे की ओर देखता है, अतीत की उपलब्धियों को मुख्यतः बनाए रखने का यत्न करता है।” यद्यपि उदारवादी विचार तीन सौ वर्ष पहले के विचार हैं, यह शब्द ‘उदारवाद’ 19वीं शताब्दी के आरंभ तक प्रयोग में नहीं लाया गया था।

रिचर्ड वैलहिम के अनुसार, . “उदारवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल्य में विश्वास का नाम है।”

सारटोरो के अनुसार, “साधारण व सरल रूप में, उदारवाद वैयक्तिक स्वतंत्रता, न्यायिक सुरक्षा तथा सांविधानिक राज्य का सिद्धान्त एव व्यवहार है।” बुल्लक तथा शॉक उदारवाद के द्विन्नीवों में स्वतंत्रता तथा अन्तकरण में विश्वास पर बल देते हैं।

ग्राइम्स का मत है, “उदारवाद विचारों की एक ऐसी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका लक्ष्य बहुलवादी समाज की प्राप्ति है जो समाज राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म तथा अन्य सांस्कृतिक जीवन की भिन्नताओं का समर्थन करें। साधारण तथा सरल रूप में, उदारवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता में वृद्धि चाहता है यह व्यक्ति की वैयक्तिकता को चयन व निर्णय के क्षेत्र में बढ़ाना चाहता है।

लॉस्की लिखते हैं, “उदारवाद के विचार में स्वतंत्रता का भाव निहित है। यह भाव विवश भी कर सकता है। इस कारण उदारवाद सहनशीलता की माँग करता है, विशेष रूप से उन विचारों व प्रवृतियों के प्रति जिन्हें खतरनाक समझा जाता है, परन्तु जो मानवीय गुणों को दर्शाते हैं।

हैलोवेल ने उदारवाद को परिभाषित करते हुए कहा है कि उदारवाद जीवन के प्रत्येक क्षेत्र – बौद्धिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक तथा आर्थिक – में स्वतंत्रता की माँग का मूर्त रूप है। स्कैपीरो उदारवाद को जीवन के प्रति अभिवृत्ति कहता है – संशयीय, प्रयोगात्मक, विवेकीय तथा स्वतंत्र।

कोयरनर के शब्दों में, “उदारवाद वैयक्तिक स्वतंत्रता वैयक्तिक मानवीय अधिकारों तथा वैयक्तिक सुख के आदर्शों से आरम्भ होता है तथा उन्हीं पर समाप्त होता है। उदारवादी लोकतांत्रिक समाज का कोई भी आर्थिक-सामाजिक रूप क्यों न हो यह आदर्श उदारवाद में मुख्य माने जाते हैं।”

हीटर के अनुसार, “स्वतंत्रता उदारवाद का सारतत्व है। एक उदारवादी के लिए समाज या उसके किसी भाग की अपेक्षा व्यक्ति ही सब कुछ होता है, क्योंकि व्यक्ति के अधिकारों को प्राथमिकता देकर ही स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सकता है।”

एण्डय हैक्कर ने अपनी रचना पोलिटिकल थ्यौरी में चार प्रकार के उदारवाद में भेद किया है:

  • स्वपनवादी उदारवाद,
  • स्वतंत्र बाजार उदारवाद,
  • लोकतान्त्रिक उदारवाद
  • सुधारवादी उदारवाद

उनके अनुसार, समुचे रूप में उदारवाद की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

(i) राजनीति के मुख्य निष्पादन के लिए स्वतंत्र जीवन,

(ii) राज्य का कार्य है: उत्पीड़न को दबाना तथा स्वतंत्र जीवन की अनिवार्यताओं को प्रोत्साहन करना।

गुडविन ने अपनी पुस्तक, यूजिंग पोलिटिकल आइडियास में उदारवाद में इस प्रकार के संघटक बताए हैं:

(i) व्यक्ति स्वतंत्र, विवेकीय, स्व-सुधार योग्य तथा स्वायत्त,

(ii) सरकार सहमति व संविदा पर आधारित होती है,

(iii) संवैधानिकवाद तथा विधि का शासन,

(iv) स्वतंत्रता का अर्थ है चयन जिसमें विभिन्न प्रतिनिधियों में से सरकार का चयन भी सम्मिलित है,

(v) अवसरों की समानता,

(vi) योग्यता पर आधारित सामाजिक न्याय, तथा

(viii) सहिष्णुता।

उदारवाद की विशेषताएँ

उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि उदारवाद मात्र राजनीतिक संकल्पना नहीं है, अपितु यह एक सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा नैतिक अवधारणा भी है। इसे इसके लम्बे इतिहास में विकसित विशेषताओं द्वारा ही समझा जा सकता है। हैलोवैल ने क्लास्किी उदारवाद की निम्नलिखित विशेषताएँ बतायी हैं:

  • मानवीय व्यक्तित्व के मूल्य तथा व्यक्ति की आध्यात्मिक समानता में विश्वास
  • वैयक्तिक इच्छा की स्वायतत्ता में विश्वास;
  • व्यक्ति की अच्छाई तथा उसमें निहित विवेकता में विश्वास;
  • व्यक्ति के कुछ अबेधीय अधिकारों, विशेष रूप से जीवन, स्वतंत्रता तथा सम्पत्ति के अधिकारों में विश्वास
  • अधिकारों की रक्षा हेत. राज्य का परस्पर सहमति के फलस्वरूप आस्तत्व
  • व्यक्ति तथा राज्य के बीच संविदावादी सम्बंध;
  • आदेश की अपेक्षा कानून द्वारा सामाजिक नियंत्रण की प्राप्ति संभव;
  • जीवन के सभी क्षेत्रों में वैयक्तिक स्वतंत्रता – राजनीतिक आर्थिक सामाजिक, धार्मिक 
  • वह सरकार सर्वोत्तम होती है जो कम से कम शासन करती है; तथा
  • इस तथ्य में विश्वास की व्यक्ति के प्राकृतिक विवेक द्वारा सत्य की सुलभता संभव।

Similar Posts

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *