श्री अरविंदो घोस का राष्ट्रवाद पर विचार | सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है
श्री अरविंदो
श्री अरविंदो का भारतीय राष्ट्र निर्माताओं में उच्च स्थान है । यह लोकमान्य तिलक के राजनीतिक सहयोगी थे उनके सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ “द लाइफ डिवाइन”, “एस्से ऑन द गीता”, “सावित्री” आदि है । महान योगी, ऋषि, तथा मानव जाति से प्रेम करने वाले थे । इन्होंने ही 1907 से 1909 में भारत के लिए पूर्ण स्वराज का आदर्श प्रस्तुत किया था।
उनका विश्वास था कि भारत का पुनरुद्धार अनिवार्य है। उन्होंने मानव एकता का भी उपदेश दिया और सिखाया कि यदि मानव स्वभाव का अध्यात्मिक पुनर्निर्माण ना किया गया तो हमारी सभ्यता का विनाश अवश्यंभावी है।
इसके अतिरिक्त अरविंदो ने भारतीय राष्ट्रवाद का व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है । अरविंदो का राष्ट्रवाद प्रमुख रूप से भारतीय सनातन धर्म के समकक्ष है । उनका यह कहना कि “सनातन धर्म के जागरण के साथ भारत का उदय होगा”। इस बात का स्पष्ट विवरण देता है कि राष्ट्रवाद और सनातन धर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । श्री अरविंदो का यह कहना कि “सनातन धर्म अर्थात राष्ट्रवाद, यह संदेश है जो मुझे आपको देना है”।
इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि सनातन धर्म और राष्ट्रवाद एक ही है अर्थात यह ऐसा क्यों और कैसे हैं, को हम अरविंदो के उत्तरपाड़ा उद्बोधन के माध्यम से समझ सकते हैं । इस भाषण में उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद का एक स्पष्ट विवरण प्रस्तुत किया है । इस भाषण में वह समझाते हैं कि सनातन धर्म के मार्ग पर चलते हुए ही हम राष्ट्रवादी हो सकते हैं और राष्ट्र का कल्याण कर सकते हैं।
सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है
अरविंदो के अनुसार भारतीय राष्ट्रवाद या सनातन धर्म के बारे में सारा ज्ञान मुझे ईश्वर ने स्वयं दिया है । जब मैं अलीपुर जेल में था। यह ज्ञान मुझे उन्होंने मेरे 12 महीने के कारावास के दौरान प्रतिदिन मुझे दिया और यह ऐसा ज्ञान है जो उन्होंने मुझे बाहर आकर आप तक पहुंचाने की आज्ञा दी।
इनका मानना था कि मुझे जेल में ब्रिटिश शासन द्वारा नहीं लाया गया बल्कि ईश्वर ने मुझे यहां स्वयं बुलाया है । किसी निश्चित कार्य को संपन्न करने के लिए तथा उसका प्रशिक्षण लेने के लिए। जैसे कि वह कहते हैं कि मुझे किसी ने कहा “जिन बंधनों को तुम में तोड़ने की शक्ति नहीं थी, तुम्हारे लिए मैं उन्हें तोड़ रहा हूं,
क्योंकि यह मेरी इच्छा नहीं है कि यह बंधन तुम्हें बंदी बनाए रखें, तुम्हारे लिए और काम है जिसके लिए मैं तुम्हें यहां ले आया हूं, तुम्हें यहां सिखाने के लिए जो तुम स्वयं नहीं सीख सकते, यह स्थान तुम्हें मेरे काम के लिए प्रशिक्षित कर सकता है “।
वह कहते हैं कि मुझे यह एहसास हुआ कि हिंदू धर्म का क्या अर्थ है । हम सनातन धर्म के हिंदू धर्म के बारे में प्राय बोलते हैं किंतु हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि वह धर्म क्या है। अन्य धर्म विश्वास और वृत्ति के पूर्वर्ती धर्म हैं परंतु सनातन धर्म ही जीवन है। यह एक ऐसी वित्ती है जिस पर केवल विश्वास ना किया जाए बल्कि उसे जिया जाए । यह धर्म है जो मानवता के उद्धार के लिए इस प्रायदीप के पुराने से एकांत में पोषित किया गया था ।
इस धर्म के लिए ही भारत का पुनरुत्थान हो रहा है । भारत दुनिया भर में उसे सौपे गए अनंत प्रकाश को फैलाने के लिए उठ रहा है । भारत हमेशा मानवता के लिए अस्तित्व में रहा अपने लिए नहीं है और मानवता के लिए है, ना कि अपने लिए राष्ट्र को महान होना चाहिए ।
उनका कहना है कि जब मैंने उस समय ईश्वर से संपर्क किया तो मुझे शायद ही उस पर विश्वास था। मैं आगेयवादी था, नास्तिक था, मुझे संशय था, और मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं था, कि कोई परमात्मा है । मुझे उसकी कोई उपस्थिति महसूस नहीं हुई । फिर भी कोई चीज थी जिसने मुझे वेदों के सत्य, गीता के सत्य, हिंदू धर्म के सत्य की ओर आकर्षित किया ।
जब मैं योग की ओर मुड़ा और योग अभ्यास करने का संकल्प लिया और यह पता किया कि क्या मेरा विचार सही है तो मैंने इसे इस प्रार्थना के साथ किया कि “ यदि तू है, तो तू मेरे मन को जानता है, तू मुझे जानता है, मुक्ति के लिए नहीं, मैं दूसरों के लिए कुछ नहीं मांगता, मैं केवल इस राष्ट्र के उत्थान के लिए शक्ति मांगता हूं, मैं केवल उन लोगों के लिए जीने और काम करने की अनुमति मांगता हूं, जिसे मैं प्यार करता हूं, और जिनके लिए मैं प्रार्थना करता हूं, कि मेरा जीवन समर्पित हो”।
वह कहते हैं कि मैंने जेल के एकांत कालकोठरी में उनसे कुछ मांगा। मैंने कहा मुझे आदेश दो मुझे नहीं पता कि क्या काम करना है, या कैसे करना है । मुझे एक संदेश दो अतः योग सूत्र से दो संदेश आए अर्थात यह संदेश प्रमुख रूप से भारतीय राष्ट्रवाद व सनातन धर्म को इंगित करता है ।
पहला संदेश;- मैंने तुम्हें काम दिया है, और इस राष्ट्र के उत्थान के सहयोग भी करना है । जल्द ही तुम्हें जेल से बाहर जाना होगा, मैंने तुम्हें किसी कार्य के लिए बुलाया था और तुमने मुझसे इसी आदेश का आग्रह किया है, मैं तुम्हें आगे बढ़ने और मेरा काम करने के लिए आदेश देता हूं ।
दूसरा आदेश:- मैंने तुम्हें हिंदू धर्म का सत्य बताया । यह वह धर्म है जिसे मैं दुनिया के सामने उजागर कर रहा हूं । इसे मैंने ऋषि, संतों और अवतारों के माध्यम से सिद्ध और विकसित किया और अब यह राष्ट्रों के बीच अपना काम करने जा रहा है । संदेश को आगे बढ़ाने के लिए इस राष्ट्र को बढ़ा रहा हूं। यह सनातन धर्म है, या सनातन धर्म जिसे तुम वास्तव में पहले नहीं जानते थे, परंतु जिसे मैंने अब तुम्हारे सामने प्रकट किया है ।
जब तुम आगे बढ़ते हो तो अपने राष्ट्र से हमेशा यह कहना कि यह सनातन धर्म के लिए है कि तुम्हारा उत्थान हुआ है, यह समग्र विश्व के लिए है ना कि स्वयं के लिए, मैं उन्हें विश्व की सेवा के लिए स्वतंत्रता दे रहा हूं इसीलिए जब यह कहा जाता है कि भारत उदय होगा यह सनातन धर्म है जो महान प्रमाणित होगा ।
जब यह कहा जाता है कि भारत स्वयं का विस्तार और विस्तार करेगा तो यह सनातन धर्म है जो दुनिया भर में स्वयं का विस्तार और प्रसार करेगा । यहां धर्म के लिए है और धर्म द्वारा ही भारत का अस्तित्व है । धर्म को बढ़ाने का अर्थ देश को बढ़ाना है । मैंने तुम्हें दिखाया है कि मैं हर जगह स्थान पर और प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक वस्तु में हूं, कि मैं इस आंदोलन में हूं और ना केवल उन लोगों के लिए काम कर रहा हूं जो देश के लिए प्रयास कर रहे हैं बल्कि मैं उन लोगों के लिए भी काम कर रहा हूं जो उनका विरोध करते हैं और रास्ते में रोड़े डालते हैं।
वह भी मेरा काम कर रहे हैं । वह मेरे दुश्मन नहीं बल्कि मेरे उपकरण हैं, बहुत पहले से मैं इस विद्रोह की तैयारी कर रहा था और अब समय आ गया है कि मैं इस कार्य को संपन्न करूं ।
यही मुझे आप सभी से कहना है । आपके समाज का नाम धर्म के संरक्षण के लिए समाज है । धर्म की रक्षा हिंदू धर्म का विश्व में संरक्षण और उत्थान यही हमारे सामने काम है । हिंदू धर्म किसी एक देश की परिधि द्वारा चलित नहीं है। यह विचित्र नहीं है पर विश्व के किसी भाग के लिए सदैव के लिए है ।
जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं वह वास्तव में सनातन धर्म है, क्योंकि यह सार्वभौमिक धर्म है, जो अन्य सभी को गले लगाता है यदि कोई धर्म सर्वभौमिक नहीं है, तो वह सास्वत नहीं हो सकता । एक धर्म, एक सांप्रदायिकवादी धर्म, एक विशेष धर्म, केवल सीमित समय और सीमित के लिए रह सकता है ।
यह एक ऐसा धर्म है जो विज्ञान की खोजो और दर्शन के अटकलों को शामिल करके और भौतिकवाद पर विजय प्राप्त कर सकता है । यह एकमात्र धर्म है जो सर्वमान्य के प्रत्येक क्षण में इस बात पर जोर देता है कि ईश्वर सभी में है और प्रत्येक वस्तु में है और हम उन्हीं में विचरण करते हैं और इस प्रकार अस्तित्व में रहते हैं ।
यह एकमात्र धर्म है जो विश्व को बताता है कि विश्व क्या है? वासुदेव की लीला है । यह एकमात्र धर्म है जो हमें दिखाता है कि इस लीला में और इसके सूचना नीतियों और श्रेष्ठ नियमों में हम सब उत्कृष्ट भूमिका कैसे निभा सकते हैं । यह एकमात्र धर्म है जो जीवन के छोटे से छोटे भाग को धर्म से इतर नहीं करता जिसे पता है कि अमरत्व क्या है और वह मृत्यु के भीषण सत्य को हम से निर्भीक रखता है ।
अतः अरविंदो का कहना है कि यह ऐसा संदेश है, जो मेरे मुख में डाला गया ताकि मैं इसे आप तक पहुंचा सकूं । आगे वह कहते हैं कि यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है, और राष्ट्रवाद राजनीति नहीं है, बल्कि धर्म है, एक सिद्धांत है, एक निष्ठा है, और वही मैं आज फिर से कह रहा हूं, पर इस बार इसे मैं यह नहीं कहता कि राष्ट्रवाद राजनीतिक नहीं है, बल्कि धर्म है, एक सिद्धांत है, एक निष्ठा है।
मैं कहता हूं कि सनातन धर्म ही हमारे लिए राष्ट्रवाद है। इस हिंदू राष्ट्र की उत्पत्ति सनातन धर्म से हुई थी। इसी के साथ इसे आगे बढ़ाना है और विकसित होना है । जब-जब सनातन धर्म का पतन होता है, तो राष्ट्र का पतन होता है और यदि सनातन धर्म समाप्त होता है, तो उसी के साथ राष्ट्र भी समाप्त हो जाएगा ।
“सनातन धर्म अर्थात राष्ट्रवाद यह वह संदेश है जो मुझे आपको देना है”।
{श्री अरविंदो}