अराजक्तावाद का अर्थ | लक्षण व विचारक
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अराजक्तावाद का अर्थ | लक्षण व विचारक

 कट्टरतावाद का अर्थ कट्टरतावाद शब्द को विभिन्न विद्वानों ने उनके एक तत्व अथवा दूसरे तत्व को ध्यान में रखते हुए बताने का प्रयास किया है। यही कारण है कि कटरतावाद धार्मिक भी है और गैर-धार्मिक भी। वैचारिक कट्टरतावाद को भी कट्टरतावाद का एक अन्य रूप कहा जा सकता है। हैवुड ने अपनी पुस्तक पोलिटिकल आइडीआलोजिस…

कानूनी ऑर नैतिक अधिकार | Legal and Moral Right’s
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कानूनी ऑर नैतिक अधिकार | Legal and Moral Right’s

कानूनी अधिकार (Legal Rights) क़ानून सामान्य जीवन या नैतिक विमर्श से अलग होते हैं। किसी भी क़ानूनी कथन (legal statement) की सच्चाई कुछ निश्चित प्राधिकारियों (authorities) के कार्यों पर निर्भर करती है। क़ानूनी प्राधिकारियों द्वारा तय किए जाने के कारण ही कोई भी काम क़ानूनी या गैर-क़ानूनी होता है। इसलिए हर क़ानूनी कथन इन क़ानूनी प्राधिकारियों के…

प्राकृतिक अधिकार | Right, and Natural Right’s
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प्राकृतिक अधिकार | Right, and Natural Right’s

 अधिकार अधिकारों को सटीक रूप से उन सामाजिक दावों के नाम से पुकारा जाता है, जो व्यक्ति को उनके सर्वोत्तम स्वार्थ आदि सिद्ध करने में मदद करते हैं और उनको अपनी निजी पहचानों को विकसित में सहायता करते हैं।  राज्य कभी अधिकार नहीं देते, वे केवल उन्हें मान्यता देते हैं; सरकारें कभी अधिकार प्रदान नहीं करतीं, वे सिर्फ उन्हें संरक्षण…

अधिकार तथा कर्तव्य | Rights and Obligations
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अधिकार तथा कर्तव्य | Rights and Obligations

अभी तक हमने अधिकारों के विभिन्न सिद्धान्तों के बारे में पढ़ा। अधिकार समकालीन राजनीतिक सिद्धान्तों की एक प्रमुख धारणा है। परन्तु ऐसा अनुभव किया जा रहा है अधिकारा पर अत्यधिक महत्त्व एक न्यायसंगत सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण या एक आदर्श समाज के प्रोत्साहन के लिये निभाये जाने वाले कर्तव्यों की अवज्ञा कर रहा है। कई लेखकों…

अधिकारों की तीन पीढ़ियाँ | Three Generations of Rights
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अधिकारों की तीन पीढ़ियाँ | Three Generations of Rights

 ‘अधिकारों की तीन पीढ़िया’ शब्दावली का प्रयोग मानव अधिकारों के संदर्भ में किया जाता है। मानव अधिकारों का तीन पीढ़ियों में वर्गीकरण का विचार सबसे पहले 1979 में फ्रांस के एक कानूनवेत्ता कारेल वसाकं द्वारा मानव अधिकारों के अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान (International Institute For Human Rights) में प्रस्तावित किया गया. था। उसके इस वर्गीकरण का आधार था फ्रांस की क्रांति के समय…

वैश्विक न्याय क्या है | वैश्विक न्याय पर रॉल्स के विचार | वैश्विक न्याय पर अमृत्यसेन के विचार | DU notes
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वैश्विक न्याय क्या है | वैश्विक न्याय पर रॉल्स के विचार | वैश्विक न्याय पर अमृत्यसेन के विचार | DU notes

वैश्विक न्याय राजनीतिक सिद्धान्तों में एक ऐसा मुद्दा है जो इस धारणा पर आधारित है कि ‘हम – एक न्यायपूर्ण संसार में नहीं रहते।’ (We do not live in a just world)। इस समय संसार में अधिकतर लोग अत्यधिक गरीब है जबकि अन्य अत्यधिक समृद्ध। कई अभी भी तानाशाही शासकों के अन्तर्गत जी रहे हैं। अनगिनत लोग…

वितरणकारी न्याय क्या है | Distributive justice
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वितरणकारी न्याय क्या है | Distributive justice

अरस्तू की धारणा उसकी सिद्धांत नींव रखने वाली सिद्ध हुई. जिसको ‘वितरणकारी न्याय‘ कहा जाता है। अरस्तू की व्याख्या का महत्त्वपूर्ण निहितार्थ यह है कि न्याय या तो ‘वितरणात्मक होता है अथवा दोषनिवारक‘: पूर्ववर्ती अपेक्षा करता है कि समानों के बीच समान वितरण हो और परवर्ती वहाँ लागू होता है, जहाँ किसी अन्याय का प्रतिकार किया जाता है।   वह…

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राजनीतिक समानता क्या है | Political Equality

राजनीतिक समानता का अर्थ है, नागरिकों के राजनीतिक अधिकारों (Political Rights) की समानता। इसका अभिप्राय है, निर्णयन संस्थाओं (Decision-Making Bodies) में समानता के आधार पर प्रतिनिधित्व का अधिकार, अर्थात् ‘एक व्यक्ति, एक वोट‘ (One Man, One Vote) के नियम का पालन। इसमें यह विचार भी निहित है कि किसी व्यक्ति को जन्म, लिंग या धर्म के आधार पर राजनीतिक पद प्राप्त करने से नहीं…

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समतावाद पृष्ठभूमि की असमानतायें तथा भेदमूलक सिद्धांत

समतावाद राजनीतिक दर्शन में चिन्तन की एक प्रवृत्ति है। समतावादी किसी न किसी प्रकार की समानता की बात करते हैं जैसे लोगों को समान वस्तुयें मिलनी चाहिए. उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए, या उनका समान आदर किया जाना चाहिए आदि। शब्द इंगलीटेरियनिज़म (egalitarianism) फ्रेंच शब्द ‘गल’ (egal) से निकलता है जिसका अर्थ होता है सूमान् एक…

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न्याय , प्रक्रियात्मक न्याय क्या है | जॉन रॉल्स का न्याय-सिद्धांत

 न्याय का अर्थ न्याय की अवधारणा संबंधी किसी भी चर्चा में उसके बहु-आयामी स्वभाव का ध्यान रखना पड़ता है। न्याय क्या है’ का जवाब सिर्फ उन मापदण्डों (मूल्यों) का संकेत करके ही दिया जा सकता है, जिनके सहारे मनुष्य ने न्याय के बारे में सोचा और सोचता रहेगा। यह वक्त गुजरने के साथ ही बदल जाता है।…