प्रक्रियात्मक लोकतंत्र क्या है?
प्रक्रियात्मक लोकतंत्र (Procedural Democracy)
वृहत् व जटिल समाजों में, लोगों के लिए यह हमेशा संभव नहीं होता कि हरेक मामले पर निर्णय करने के लिए एक साथ मिल बैठे, जैसा कि वे प्राचीन एथेंस के प्रत्यक्ष लोकतंत्र में करते थे। यही कारण है कि आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधि संस्थाओं के माध्यम से काम करता है। लोग अपने प्रतिनिधि एक विधान मंडल या सभा हेतु चुनते हैं, और ये प्रतिनिधि उनकी ओर से निर्णय लेने के लिए प्राधिकृत होते हैं जो उन्हें चुनते हैं। परम संप्रभुता, हालाँकि, लोगों के ही पास रहती है, जो अपने प्रतिनिधियों को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं, और जब अगला चुनाव-चक्र आता है तो उन्हें पुनः चुनने से मना कर सकते हैं। प्रतिनिधि सरकार वर्तमान लोकतंत्र की धारणा का प्रायः पर्याय है।
तथापि लोकतंत्र को मात्र संस्थाओं के एक समुच्चय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए- यथा, इनसे रात होते स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव, विधान सभाएँ व संवैधानिक सरकारें। लोकतंत्र के इस दृष्टिकोण का वर्णन कार्यविधिक लोकतंत्र के रूप में किया जाता है, क्योंकि यह लोकतंत्र की सिर्फ कार्यविधियों व संस्थाओं पर ही ज़ोर देता है। यह इस बात को देखने से रह जाता है कि औपचारिक राजनीतिक समानता के बावजूद, कुछ नागरिक दूसरों के मुकाबले अधिक समवर्ग हो सकते हैं और निर्णयों के लिए जाने में दूसरों की अपेक्षा अधिक मताधिकार का उपभोग कर सकते हैं। अगर नहीं तो प्रायः ही अपेक्षाकृत विपन्न, कम शिक्षित, व सामाजिक रूप से अभावग्रस्त नागरिक ही होते हैं जो अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का पूरी तरह से व्यवहार कर पाने में असमर्थ होते हैं।
सामाजिक व आर्थिक असमानताएँ एक विधिवत् भागीदारी के लिए प्रभावशाली बनना मुश्किल बना देती हैं। यही कारण है कि सिद्धांतवादी सत्तावाचक लोकतंत्र के महत्त्व पर जोर देते हैं। यह आदर्श यथार्थ रूप में ऐसे.समवर्ग नागरिकों के समाज का संकेत करता है जो राजनैतिक रूप से वचनबद्ध हों, विभिन्न मतों व जीवन-दृष्टियों के प्रति सहिष्णु हों, तथा अपने शासकों को चुनने व उन्हें उत्तरदायी ठहराने में एकमत हों। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के परिणाम व निर्णय तत्पश्चात् समाज में कुछेक शक्तिशाली समूहों व व्यक्तियों के हितों की बजाय सभी के हितों के प्रति यत्नशील होंगे। इसका अर्थ यह भी है कि लोकतंत्र सरकार का ही संगठन सिद्धांत नहीं, वरन् समाज में सम्पूर्ण सामूहिक जीवन का संगठनकारी सिद्धांत भी है और होना चाहिए।